Friday, December 13, 2013

अभिप्राय





वो लोगो की जलन से जल-जल कर मरी,
वो, जो जलने के कारण जल चाह रही थी!

उज्जवल कल की चाह में उसने अपने कल को ही ख़तम कर लिया,
वो, जो अपने कल की कहानी आने वाले कल को सुनाना चाहता था!

चाल तो उसकी कोई समझ ना सका,
वो, जिसके कदमो की चाल पे सबकी निगाहें रहती थी!



Sunday, December 1, 2013

वादा करो... कि तुम दोगी मेरा साथ!




मेरे जीने के मकसद यूँ तो कई सारे है,
वादा करो कि तुम उन सब में सबसे पहला बन जाओगी!

मैं यहाँ से दूर ... कही दूर जाना चाहता हूँ,
वादा करो कि तुम मुझे वापिस ले आओगी!

तुम्हारी वो बाते जो हमेशा मुझे चिढ़ाती रहती है,
वादा करो कि तुम हमेशा मुझे यूँ ही सताती रहोगी!

कहते है इश्क़ आदम के जज्बातो का आइना होते है,
कोशिश करना, तुम मुझ में .. मुझ को.. मुझ सा... ज़िंदा रख पाओगी!

मैंने चाहा है तुमको, अपनाया है तुमको, अपने होने से ले... खुद के ना होने तक,
वादा करो तुम मेरी बन जाओगी .. पर खुद को मुझ सा नहीं बनाओगी!

Wednesday, November 20, 2013

सचमुच दुनिया बहुत लम्बी हो गयी हैं!





दुनिया बहुत छोटी है दोस्त.. बस इतना ही देख लो,
शाम को खोया सूरज, फिर अगले रोज़ खिड़की पर दोबारा दिख जाता हैं!

पूछा एक रोज़ मैंने उस के यूँ ही चले जाने का कारण,
बोला खिल-खिला के कि जाता मैं हूँ या तुम,
मैं तो रहता हूँ यही.. तुम ही दिन भर मुझसे आँखे चुरा के,
अपने ही काम में मशरूफ़ रहते हो तुम,
जो आ जाती है थकान, मुझसे नज़रे चुराने में,
तो आँख मूँद लेते हो, और कहते हो .. "मैं खो गया"!

चुभ गयी उसकी दिल्लगी और अपनी बेरुखी,
याद किया कब से नहीं देखा मैंने पूर्णिमा का चाँद,
अब तो वो CFL ही चाँद सूरज लगता हैं,
और SHOWER ही बरसात!!
वो A/C के सामने.. मुंह पे आती हवा
बस यूँ ही खुद को कश्मीर में खडा महसूस करता हूँ!

बाकी सब एहसास तो पा लेता हूँ,
पर दोस्तों की वो कमीनी गालियाँ,
बेटे की बढती लम्बाई.
माँ- पिताजी के चेहरे की झुर्रियां,
ओर बीवी की मुस्कराहट का राज़,
और उनके साथ जुड़े कई सारे एहसास भूल गया हूँ!

सचमुच दुनिया बहुत लम्बी हो गयी हैं!

Saturday, November 2, 2013

कविता




सोचता हूँ कैसे शुरुवात करू, इस अफ़साने का,
शुरुआत एक कविता की... कविता के इस अफ़साने का!
रहता है इंतज़ार.. बस उनकी आती missed calls का,
फिर बेताब हो जाता है मन, उसके पीछे के कारणों को जानने का!
अक्सर तो हम उन्हें सुना ही करते है,
उनकी बातो और हंसी में हम खो जाते है हाल इस ज़माने का!
कहना तो हम चाहते है बहुत कुछ उनसे...
पर उनकी आँखें देखकर भूल जाते है मकसद अपनी बातों का!
मुश्किल लग रहा है ये कुछ दिन काटना..
इंतज़ार के इन पलो को यूँ हथेलियों पे गिनना!
सोचता हूँ ज़रूर मेरे पिछले जनम के सबाब का आप फल होंगी,
इस जनम में तो मुझे याद नहीं आता कोई कारण, उस के इस प्रसाद का!
पहले हम तन्हाई में खुद को सोचा करते थे,
अब तो वक़्त ही नहीं मिलता, खुद को तुझसे बचाने का!
कभी कभी जो हम सोचते ही शायद आज खुश रहेंगे!
पर पूरा दिन निकल जाता है एक नयी धुन तुझ पर बनाने में!

Saturday, October 26, 2013

तुम.... धड़कन सी लगती हो!




तुम मुझे मेरे सीने में धड़कन सी लगती हो.
हो कर भी दूर, तुम मुझे करीब ही लगती हो!

तुम आफरीन..मेहफिशा...किसी कली सी...
तुम मुझे किसी और जहां की लगती हो!

तुम जाड़ो के मौसम में, एक लिपटी रजाई सी....
और गर्मी में तुम मुझे,"पुरवाई" सी लगती हो!

देखू तुझे तो, मैं सारी कायनात भूल जाऊ,
तुम मुझे रब का दिया एक तोहफा हसीन लगती हो!

लोग जा जा के मस्जिद, भी ना पा सके 'उस' को,
तुम मुझको बस.... उस जैसी लगती हो!

कैसे मैं बताऊ तुम्हे, तुम मुझे कैसी लगाती हो?????
तुम बस मुझे ... मेरे सीने की धड़कन सी लगती हो!

Tuesday, October 15, 2013

मेरी लगन





अब कैसे बताऊँ, तू मेरी क्या लगती हैं?
तू मुझे कुछ-कुछ.. अपनी सी लगती हैं!

तेरा वो.. हर छोटी-छोटी बात पे मुस्कुराना,
इन ही से तो ये दुनिया.. हमे हसीं लगती हैं!

तेरे होने से दुनिया थोड़ी अलग सी लगती हैं,
वरना, ये बस एक तनहा भीड़ सी लगती हैं!

होंगे रुखसत तो अलविदा ना कहना,
तेरे होने के ख्याल से ही ज़िन्दगी.. ज़िन्दगी लगती हैं!

हर नए बसंत के नये पत्ते.. नये नये फूलों की तरह,
तेरी हर मुलाक़ात, मुझे हर रोज़ .. एक नयी मुलाकात सी लगती हैं!

Monday, September 30, 2013

फिर एक बार .....



आज एक और शुरुआत की है, तेरे जाने के बाद,
आज फिर एक नयी याद बुनी है, तेरे जाने के बाद!

रोज़ सुनते रहे अपने दिल की कही, पर समझ ना सके,
आज फिर उन पे गौर करने की ठानी है, तेरी यादो के साथ!

आज फिर सोचा है, चलो ज़रा दिल को बहला लिए जाए,
फिर आँखें बंद कर के तेरा दीदार पा लेंगे, फिर उन यादो के साथ!

बड़ी सी इस दुनिया में, मेरा ये छोटा सा अफ़साना,
ये भी निखर जाएगा, नाम तेरा इस में जुड़ जाने के बाद!

Thursday, September 12, 2013

ध्यान रखना..




मेरी मानो, घर के चिरागों में दो चीज़े ज़रूर रखना,
अच्छी सोहबत और अच्छी आदत, तुम भी हमेशा अपने साथ रखना!

मेरी मानो, कभी कभी खुद को भी अपना समय दे के देखो,
वो जो तुम्हारा है, उसे सदा अपने पास रखना!

हमने देखा लोगो को गिरते हुए, उठते हुए, हर कदम दो कदम पे,
सीखा बस इतना ही की.. हर किसी का साथ देते हुए चलना!

दुनिया बहुत मतलबी है, कोई किसी को याद नहीं रखता,
तुम किसी को खुद को भूलने का बस मौका मत देना!

ज़िन्दगी बहुत छोटी है और उम्र और भी कम,
तुम हर मोड़ पे, एक नयी दास्ताँ बनाते हुए चलना!

Tuesday, August 20, 2013

नादानियाँ






देखने से उनको दिल को करार आ जाता है,
पर वो नज़र छुपा रहे हैं,
सुन के उनके बोलो को सुरूर छा जाता है,
पर वो खामोश बैठे हैं,
अब तो इंतिहा हो गयी, इंतज़ार और ऐतबार की...
चाहने की उनको तमन्ना तो बहुत हैं,
पर वो मेरे इश्क से मुह फेरे बैठे हैं!

हमने उनकी तस्वीर हर और लगा रखी है,
अपनी पहचान भी उन्ही के नाम से ही रखी हैं,
ऐसी ही कई नादानियो की ...
हमने अब आदत बना रखी हैं!
बुत कहते हैं, अकेले कैसे काटोगे ये ज़िन्दगी,
हमने अपनी तन्हाईयों को संजोकर,
अब उनकी महफ़िल सज़ा रखी हैं!

Monday, August 5, 2013

मुझे छोड़ के जाने वाला!




इनकार नहीं,
इकरार नहीं..
इंतज़ार दे गया,
मुझे छोड़ के जाने वाला!

सरफराज था,
दिलनवाज है,
चाहे जैसा भी था,
वो.. मेरा दिल तोड़ने वाला!

आँखें कशमकश में नम हुई,
लब भी कोशिश करते रहे,
पर बयाँ ना कर सके,
ग़म ... वो मेरे दिल को छिलने वाला!

आह सही..
आह भरी..
फिर भी ना आया कोई,
मेरी तकलीफ सुनने वाला!

नहीं कोई रुलाने वाला,
नहीं कोई सताने वाला,
दूर तलक नहीं कोई निगाह में,
कोई, मुझे कुछ बताने वाला!

इनकार नहीं,
इकरार नहीं..
कुछ और ना सही,
इंतज़ार सही!

Wednesday, July 17, 2013

तेरा खुदा-मेरा खुदा




क्या मेरे काफिर होने से तेरे खुदा को कोई गुरेज़ होगा,
आखिर मुझे भी तो ... उसने ही अपने हाथों से बनाया होगा!

मानने वालो का कहना है की हर शह में वो रहता हैं,
क्या मुझे रुलाने वालो ने, इतना भी ना जाना होगा!

बुत-परस्तों का मुझे यूँ नादानों की तरह पत्थर मारना,
उनका खुदा भी तो ... कहीं इन में ही रहता होगा!

काबा किये, मदीने गए, पढी इन्होने कई आयतें,
क्या ना देख पाने वालो को, खुदा ने काफिर बनाया होगा!

फक्र है उनको अपने मुस्तकबिल पर, जो खुदा को अपना कहते हैं,
क्या उन्होंने खुद की मुट्ठी को, खुदा की दरियादिली से बड़ा माना होगा!

Friday, July 5, 2013

तेरा-मेरा




हे राम, या अल्लाह, ओ गुरु जी, Oh Jesus
वो तो बस एक ही है, पर इंसान कहता है... ये तेरा है, वो मेरा हैं!

दिन रात की ये कशमकश, ता-उम्र ढोयी कठिनाईयाँ,
ना चैन देखा, ना नींद अपनी... बस कहते रहे, ये तेरा है, ये मेरा है!

छोड़ ना सके ताउम्र, छोटी-छोटी चीज़ों की ज़द्दो-जेहद,
वो तो मौत पर भी अपनी लड़ते रहे... ये तेरा है, ये मेरा है!

लड़-झगड़ के हमने कर दिए, एक ज़मीन के कई टुकड़े,
अब मिल के रोते है उस कोने पर... जो न तेरा है, ना मेरा है!

बरसात का ये मौसम फिर भिगोने चला आया,
आओ चले खेले उस पानी में... जो ना तेरा है, ना मेरा हैं!

आओ छोड़ के कि क्या तेरा है, क्या मेरा हैं,
दुआ करे उसके लिए... जो ना तेरा हैं, ना मेरा हैं!

Saturday, June 22, 2013

चाहत की इंतिहा






तुझे कुछ इस कदर अपने दिल से मांग के चाहा हमने,
अपने अधूरेपन के हर आखिरी हिस्से से तुम्हे चाहा हमने!

आँखों के आँसू ... तेरी यादों में सब सूख चुके थे,
लहू को आंसू बनाकर, फिर से यादो को गले लगाया हमने!

दिल की बस्ती, गम का मंज़र और मैं भटकता आवारा,
तेरे नाम का सहारा लेकर, फिर बेखुदी का कदम बढाया मैंने!

किसी ने किनारा किया तो किसी ने सिर्फ रंग दिखाए,
तेरे नाम का सहारा लेकर, उन सबसे किनारा किया हमने!

अब वो भी नहीं रहा मेरा, जिसे सब खुदा कहते हैं,
होगा भला सोच के.. इस बार सदके में तेरे नाम को अपनाया हमने!

Sunday, June 9, 2013

मजमा-ए-तबस्सुम






ए मल्लिका-ए-हुस्न ज़रा इधर भी करम करना,
है मेरी एक अर्ज़ .. ज़रा मुझ पर भी करम करना!

चुरा ले ना कोई, मनचला यूं ही,
तुम रूप को अपने ... पर्दों में छुपाये रखना!

देखेगा तुम्हे जो भी, रखेगा हसरत दिल में,
तू जब कभी बाहर निकले, तो आँचल संभाले रखना!

है रोशन तुझ ही से तो .. बस्ती हम दिलवालों की,
तुम जब कभी भी बाहर जाना, काला टीका लगाए रखना!

सुनो मेरी बात... तुम जानती नहीं, इस दुनिया की चोर नज़रों को,
तुम अपनी चाँदनी को इनकी चोर नीयत से बचाए रखना!

आशिक हूँ, कोई चोर नहीं... सो बस यहीं कहता हूँ,
हो सके तो मेरे दिल का भी ज़रा एहतियात रखना!

Saturday, May 25, 2013

अरदास




या खुदा मेरी ये एक इल्तजा सुन ले,
मुझे कुछ कहने बस इक मौक़ा दे दे!

मुझे मेरे यार की खातिर, बस एक बार या मौला ...
उसकी आँखों में बस इक बार खडा कर दे!

इस जहान से में एक आखिरी बात कहना चाहता हूँ,
तू, ज़रा उनकी पल भर की मसरूफियत कम कर दे!

दरकार मुझे भी थी, कुछ कर गुजरने की,
जीते जी ना कुछ कर सका, कम से कम अब ही इनायत कर दे!

आँखों में इंतज़ार और होठों पे एक फ़रियाद हर समय हैं,
खुदा-या .. मौत से पहले तो कम से कम, मुझे "मैं" कर दे!

Saturday, May 11, 2013

ज़िन्दगी का सफ़र!






छोड़ के एक दिन यूं ही ये पलट के अलविदा कह जायेगी,
जब तक साथ है... तब तक ये .. ज़िन्दगी.. मेरी जान लेती रहती हैं!

कभी नफरतो का साया तो कभी मुहब्बत-ए-सरफ़राज़ साथ थी,
कभी बेख़ौफ़ हंसी में .. तो कभी बरसते आँसुओ में, ज़िन्दगी साथ रहती हैं!

सोचने की ज़लालत मिली तो कभी हंसने की इजाज़त भी,
हर मोड़ पे ज़िन्दगी, एक नया इम्तिहान लेती रहती हैं!

कभी इम्तिहान.. तो कभी लड़ाई, कभी महफिले तो कभी तन्हाई,
हो चाहे कैसा भी मजमा-ए-दुनिया, ज़िन्दगी हमेशा आबाद रहती हैं!

मेरे ज़ख्मों को कुरेदा, कुरेद कर चोटों को नासूर कर दिया,
ज़िन्दगी... मेरी दिल्लगी को ..... दिल की लगी कहती हैं!

सोचता हूँ आँखें मूंदकर... कल बिछड़ जायेंगे, तो क्या होगा,
आज तो ये मेरी खुदगर्जी हैं, देखे कल दुनिया क्या कहती हैं!

मुझे रुला कर ये खुद को आबाद कहती हैं,
मेरे बिन... ये ज़िन्दगी भी... थोड़ी मायूस सी रहती हैं!

Tuesday, April 30, 2013

गम-ए-यार





वो आज फिर आये ... और नहीं भी आये,
वो ना आये मेरी नज़र में ,पर मेरी यादों में लौट आये!

जाने क्या मजबूरी रही होगी उनकी भी,
उनकी खुशबु तो मेरी बज़्म में आई ,पर वो नहीं आये!

कहने को तो वो भी दुनिया की खुश-फ़हमी बढा रहे हैं,
किसने देखे ... नाम मेरा आने पर , आँखों में उनकी कितने मोती आये!

अपनी तन्हाई को मैं उनका मुझ पर एहसान मानता हूँ,
सुना है कि मेरे हालात से वो हर लम्हा इत्तेफाक रखते आये!

उनको भी तकलीफ होती होगी , इन जुदाई के लम्हों में,
मेरा हिस्सा तो मेरा है ही , जाने उनके हिस्से में कितने गम आये!

Saturday, April 20, 2013

मेरा इश्क - मेरे गम





नज़रों का क्या कसूर, यूं ही ये छलक आई हैं,
कसूर तो उनका है, जिन्होंने दिल दुखाया हैं!

उसने तो सरे -आम अपनी ख़ुशियाँ मनाई हैं,
उसी की ख़ुशी के लिए, हमने गम छुपाया हैं!

आसुंओ ने, कभी तन्हाईओं तो कभी शराब ने गम बांटा हैं,
लगता है कभी कभी.. खुदा ने सिर्फ मेरे ही लिए.. मयखाना बनवाया हैं!

लोग पूछ्ते है कि हम ने ये क्या हाल बनाया हैं,
हमने तो सिर्फ इश्क किया था .. अब तो बस उसका ही सरमाया हैं!

ना रोयेंगे... ना तेरा हम कभी इंतज़ार करेंगे,
बस पूछेंगे खुदा से.. दोबारा तुमसे मिले, वो मोड़ कहाँ बनाया हैं?

Wednesday, April 10, 2013

मेरी आवारगी और मैं




कुछ ऐसी मेरी आवारगी है, जो शायद ही किसी के अरमान पूरे कर सके,
वरना हम तो बस इसीलिए सांस लेते है... कि बस एक उसूल पूरा कर सके!

बेपरवाह..बेपनाह.. बेइन्तिहा, इश्क किया जीवन ने,
शायद कोई कमी रह गयी थी कि अपने इश्क का वजूद ना पूरा कर सके!

हमने जिसे नजरो से पूजा, दिल से अपनाया था कल तलक,
आज.. कह तो दिया उन्हें खुदगर्ज़.... पर हरजाई ना मान सके!

आज भी नाम उनका आते ही, दिल में एक उम्मीद सुलग जाती हैं,
बना के भी खुद को आवारा, हम इस दिल को आवारगी ना सिखा सके!

मिलेंगे जो किसी मोड़ पे तो कोई शिकवा ना होगा लबो पे,
बस यही पूछेंगे कि बिन मेरे वो आज तलक जी कैसे सके!

बस यही आखिरी तमन्ना है मेरी .. मेरी कब्र के आखिरी मसीहाओं से,
मेरी आखिरी मिटटी जब भी उडे, उसे उनकी हथेलियाँ नसीब हो सके!

Saturday, March 30, 2013

सबको बता देना ..





एक सवाल के मानिंद मेरा एक जवाब यही कही फ़िर रहा था ,
जो तुम देखो उसे , तो उसे उसकी मंजिल बता देना !

तुम गैरों से पूछते हो पते , अपनो के पास जाने को ,
जो तुम देखो किसी ऐसे इंसान को , उसे अपना बना लेना !

आँखों में इंतज़ार लिए , पतझड़ में एक पत्ता और गिर गया ,
जो देखो तुम फूल नया बहार में , उसे वो कहानी बता देना !

उन बीती रातो की यादों में , कहने सुनने में , रात बीत जायेगी ,
होगी सुबह , तो आ के मुझे आज का हाल बता देना !

आवाज़े भी मौजूद हैं , और परछाईयों की आहट भी है निगाहों में,
मसरूफियत छोड़ के , इंसान की इंसान से एक बार पहचान करा देना !

Sunday, March 10, 2013

काश.. ऐसा ना हुआ होता !





काश तूने मुझे बेगाना ही रहने दिया होता,
तो शायद मेरा दिल इतना ना बेचारा होता!

खुश्बू-ए-इश्क मेरी ज़िन्दगी में आया तेरी ही वजह से ,
जो तू ना होता तो शायद मैंने धड़कन को ना जाना होता!

आँखों में पहले भी कई बार रतजगे आये थे,
पर तेरी याद ने तब मेरी पलकों को ना भिगोया होता!

हम तो आज भी किस्सा -ए -गम , दिल में दबाये बैठे हैं,
तेरी रूसवाई के डर ने, हमको ना चुप कराया होता!

यूँ तो साँसों की ये गिनती , कभी रास नहीं आई मुझको,
पर इन खुली आँखों में हरदम तेरा बेसब्र इंतज़ार नहीं होता!

Saturday, February 16, 2013

वो बच्चा जिसका आंसू गिरा




क्या तुमने अपनी हसीँ यों जाया की हैं?
तो क्यों उस मासूम के हाथो को छलनी करवाया!

अपनी तो हर जिद के लिए तुमने दुनिया झुका दी,
फिर क्यों तुमने उसकी दुनिया से बचपन निकलवाया!

वो भी एक सपना लिये जागता था... एक विश्वास रखता था,
क्यों तुमने उसकी उम्मीदों को उसका ही खोया ख्वाब बना दिया!

फितरत में उसकी कुछ नादानियां थी.. ज़ेहन में कुछ शरारते थी,
पर तुमने सबको हटाकर, उसकी हथेलियों .. कंधो पे बोझ डाल दिया!

उसका मन था परदे सा, बिना किसी रंग या तस्वीर का,
तुमने क्यों उस परदे पे, उसी का स्याह रंग उड़ेल दिया!

अपनी हंसी को तुमने ख़ुशी का एहसास.. एक याद बना के रखा,
पर उसके हंसने को उसकी मजबूरी का तमाशा बना दिया!

अपनी औलाद के एक जिद्दी आंसू के लिए तुमने तारे भी ज़मी-दोज़ कर दिए,
और किसी मासूम की आत्मा में तुमने आंसूओ के सैलाब पैदा कर दिया!

अपने रब से तुमने सदा अपनों की सलामती मांगी,
और .. उस मासूम का तू ... खुद ही खुदा बन गया!

Thursday, February 7, 2013

क्या, ऐसे खुश रह पाओगे?





हमारी शून्य जैसी और आपकी भागती-दौड़ती ज़िन्दगी,
हमारी इस तरह और आपकी उस तरह कट ही जायेगी!

कुछ पाकर... जिनके लिए पाया, उनको खोना,
क्या तेरी ताबीर तुझे ऐसे खुश रह पायेगी!

वक़्त-बेवक्त की शामते, पल-पल की परेशानियां,
क्या ये बैचैनियाँ तुझे तेरी मंजिल तक ले जा पायेंगी!

परेशान हो या बेफिक्र रह, ये सब तो तेरे हाथ में ही हैं,
जो होनी है,ना चाहने पर भी ... वो हो ही जाएगी!

Wednesday, January 30, 2013

एक पन्ना ऐसा भी!!




एक खाली पन्ने को कल दिल से लगाकर लेट गया,
उठा तो देखा... कुछ अलफ़ाज़ उस पर उतर आये थे!
क्या कहूँ क्या-क्या लिखा था, उस टुकड़े पर दिल ने,
उन आड़ी-तिरछी रेखाओं में दिल का दर्द उतर आया था!

सीधी तरफ दिल ने कुछ रिश्तो के नाम गूँथ दिए थे!
माँ-बाबा के लिए चरण-स्पर्श .. सनम के लिए आब-ए-ज़िगर, उकेर दिए थे!
वही नीचे कुछ नाज़ुक शब्दों की आहट सुनाई दे रही थी,
दिल ने अपने सारे एहसास.. वहां... स्याह रंग में पिरो दिए थे!

कहीं गोल चक्कर सी ... तो कही मिटती रेखाओं की,
कहीं उलझती, तो कभी उभरती निशानियाँ भी थी,
कहीं नन्ही कोपलो सी ... तो कही ऊँचे दरख्तों सी,
मेरे मजबूत एहसास और भीगे लम्हों की कहानियां भी उन में थी!!

पलट के जो उस कागज़ को देखा, तो दूसरी तरफ मेरे हाथ की रेखाएं छपी थी,
मेरे कल से लेकर आज की... और आने वाले कल की .. सब बातें वहाँ पड़ी थी!
कुछ अधूरे किस्से.. छूटे रिश्ते... पुरानी बातें और कुछ तरसते एहसास,
ज़िन्दगी के आज वो सारे पन्ने.. यूं ही आज हमारे सामने आ गये!

Tuesday, January 15, 2013

एक बार.. आ के तो देख!






आ के मुझ से ज़रा तू मिल के तो देख,
आँखों से मेरी.. पूछ के तो देख,
दूर खड़े तुम क्या समझोगे
आ के मुझे मयखाने में देख!

आती जाती ऋतुए बदली,
मेरी तलब ना.. सुरूर मिटा,
तुमको क्या मालूम.... क्या ये होगा,
आ के मेरी तू.. मस्ती तो देख!

ठोकर और तन्हाई मिली
थोड़े आंसू और खुशबु,
किसको छोड़ा... किसको रखा..
आ के दिल-ए-अलमारी तो देख!

दीवारे खड़ी करती दुनिया,
दिलो की भी अब.. तंग होती गलियाँ
पूछ ना मुझ से किसने तोड़ा,
आ के मेरा पैमाना देख!

दूर खड़े तुम क्या समझोगे
आ के मुझे मयखाने में देख!