Wednesday, March 24, 2010

आपको........भूलू कैसे????


उस शब्--फ़िराक को मैं भुलाऊ कैसे?
तेरे दूर जाते साए का...मुझे अलविदा कहना भूलू कैसे?

लोग तो अपने मोहसिनो पे एहसान करते हुए जाते है...
आप दे गए मुझे जो यादें, उनके जज़्बात किसी को दिखाऊ कैसे?

हमने इश्क किया है, दिल्लगी नहीं आपसे
इस दिल की धड़कन में है जो नाम, वो आपको सुनाऊ कैसे?

इश्क से ज्यादा, हमने चाही आपकी खैर, आपकी बुलंदी चाही है..
इसके लिए ढाये जो खुद पे सितम ..उन्हे आप से छुपाऊ कैसे?

कहती है ये दुनिया पागल, करती है रुसवा तेरे नाम से..
इन काफिरों के इस एहसान का शुक्रिया अदा करू कैसे??

Tuesday, March 9, 2010

एक आंसू और थोड़ी तन्हाई




फिर एक आंसू और थोड़ी तन्हाई
ना जाने आज तू फिर क्यों याद आई!

कोशिश तो की तुझे भूल जाने की,
हर कोशिश में तू फिर ज्यादा याद आई!

कहाँ-कहाँ नहीं भटका, मै तेरी यादो से बचने को,
हर छलकते जामो ने फिर तेरी ही गली की राह दिखाई!

कहते रहे लोग .... ज़िन्दगी लम्बी हैं, वक़्त कट जाता है,
जितना तुझे भुला था... उस से ज्यादा तू तब याद आई!