Saturday, June 22, 2013

चाहत की इंतिहा






तुझे कुछ इस कदर अपने दिल से मांग के चाहा हमने,
अपने अधूरेपन के हर आखिरी हिस्से से तुम्हे चाहा हमने!

आँखों के आँसू ... तेरी यादों में सब सूख चुके थे,
लहू को आंसू बनाकर, फिर से यादो को गले लगाया हमने!

दिल की बस्ती, गम का मंज़र और मैं भटकता आवारा,
तेरे नाम का सहारा लेकर, फिर बेखुदी का कदम बढाया मैंने!

किसी ने किनारा किया तो किसी ने सिर्फ रंग दिखाए,
तेरे नाम का सहारा लेकर, उन सबसे किनारा किया हमने!

अब वो भी नहीं रहा मेरा, जिसे सब खुदा कहते हैं,
होगा भला सोच के.. इस बार सदके में तेरे नाम को अपनाया हमने!

Sunday, June 9, 2013

मजमा-ए-तबस्सुम






ए मल्लिका-ए-हुस्न ज़रा इधर भी करम करना,
है मेरी एक अर्ज़ .. ज़रा मुझ पर भी करम करना!

चुरा ले ना कोई, मनचला यूं ही,
तुम रूप को अपने ... पर्दों में छुपाये रखना!

देखेगा तुम्हे जो भी, रखेगा हसरत दिल में,
तू जब कभी बाहर निकले, तो आँचल संभाले रखना!

है रोशन तुझ ही से तो .. बस्ती हम दिलवालों की,
तुम जब कभी भी बाहर जाना, काला टीका लगाए रखना!

सुनो मेरी बात... तुम जानती नहीं, इस दुनिया की चोर नज़रों को,
तुम अपनी चाँदनी को इनकी चोर नीयत से बचाए रखना!

आशिक हूँ, कोई चोर नहीं... सो बस यहीं कहता हूँ,
हो सके तो मेरे दिल का भी ज़रा एहतियात रखना!