Saturday, October 31, 2009

आपको अपने एहसास दिखाऊ कैसे????


अब तू ही बता मैं होश में आऊ कैसे?
लगे है जो भीतरी घाव, उन्हे सुखाऊ कैसे?

मस्जिद जाके सारे कर्जो की मांगी माफ़ी..
पर दिल जो दुखाया किसी का, उसे मनाऊ कैसे??

रात को लेटा, अपने सारे गम गिन के,
तेरे गम की सोच के, अब सोऊ कैसे??

ठोकर खा कर गिरे जो, वो धीरे-धीरे संभालते है..
तेरे इश्क में डूबे ज़मीर को,मैं उठाऊ कैसे

लोग तो कहते है, अब मैं सयाना हो गया...
पर जो बात उस लड़कपन में थी, उसे भुलाऊ कैसे???

Tuesday, October 27, 2009

मेरी चाहत



आज वो हमसे फिर एक बार खफा हैं,
लगे हैं सोचने की शायद हम बेवफा हैं,
हैं सोचा उन्होंने, जो हम ने भी ना सोचा,
क्योंकि, हमारे लिए तो बस... वो ही बस खुदा हैं!!

नहीं जानते वो की क्या कसक-ए-मोहब्बत होती हैं,
सही भी ना जाए, वो उल्फत क्या होती हैं,
जो ना जान पाओ.. तो वापिस चले आना,
हम ही बतायेंगे की क्या-क्या.... नसीहत-ए-इश्क होती हैं!!

मरमरी तेरी आँखों में बसने की चाह हैं.
मुझ आशिक को एक बार, तुझ पे मर मिटने की चाह हैं,
हैं तुझ में और मुझ में, 1 मुजरिम सा ये पर्दा....
अब सारे पर्दों को पार कर, हमसाया बनने की चाह हैं!!

Sunday, October 25, 2009

उसकी अदाए


थी आज गूंजी, एक हंसी मेरे कानो में,
थी एक हसीं अदा, उस नाजनीन की बातो में,
था मैं उसकी हर एक अदा का ऐसा दीवाना,
खुद के गिरने के दर्द से ज्यादा मज़ा पाता था...उसके हंस जाने में।

ना कोई कमी थी, कभी उसकी हंसी में,
था ये सबूत...कि रहती थी वो सदा ख़ुशी में,
थी उसकी बातें, उसकी हंसी, उसकी आँखें..... सदा ही चहकती,
थी उसने बिखेरी, सदा खुशिया ही हर दिशा में।

हैं देखे हज़ारो, ना देखी कोई उस सी,
वो चलती हैं ऐसे, चली जा रही हो दामिनी,
है नशा उसकी बातों में, हज़ारो मयकदो का,
है मासूमियत उसकी ऐसी, जैसे किसी नवजात शिशु की।

जब हैं वो कुछ कहती, मैं उसके लबो को हूँ तकता,
हैं वो एक कमल से, करता हूँ, मैं उनका सदका.
हैं इक-इक अदा उनकी...इतनी हसीं और प्यारी,
डर लगता हैं रब ही ना चुरा ले हमसे ये खुशियाँ हमारी.

Saturday, October 24, 2009

वो हसींन खता.......


जिसकी सजा हमे पता थी, वो गलती हम कर बैठे.....
जानते थे क्या होगा आगे, फिर भी खता. कर बैठे,
दिमाग की सोच और दिल की धड़कन दोनों ही बंद हो गयी॥
हम उनकी आँखों से जब से 2 जाम है लगा बैठे.

Saturday, October 10, 2009

वादा





ये वादा था मेरा मेरे एहसासों से,
कि उनके दिल में पैदा होने के बाद,
पर ज़ेहन में ख्यालों की भीड़ में खोने से पहले,
मैं, उनकी इस जहान से पहचान करा दूंगा!

उन्हें शब्दों में पिरो के, अपनी कविताएं बनाकर!