Sunday, October 24, 2010

हर तरफ..... तू ही.... सिर्फ तू हैं!





खुली पलक के सुनहरे सपने में तू हैं,
बंद आँखों के उन गिरते आंसूओं में तू हैं,
तू लगती है मुझे ... कुछ कुछ अपनी सी.....
मैं नहीं जिसे बदल सकता, हाथो की उन लकीरों में तू हैं!

वो हथेली से उडी.. वो ढेर सारी मन्नतें,
वो पूजा की थाली में गिरते, हज़ारो के सिक्के,
बस पूरे कर सके.. वो हर ख्वाब तेरे,
मेरी उन सब हसरतो में .... सिर्फ तू हैं!

वो रहना तेरा .. बन के सवाल, मेरे ख्यालो में,
वो आना तेरा .. बन के जवाब, मेरे सवालों में,
सोचता हूँ कभी कि ... तूझे नज़र अंदाज़ कर दूं,
पर देखता हूँ कि मेरे हर अंदाज़ में तू हैं!

मैं पाता हूँ, हर पल.. तुझे करीब अपने,
बिन तेरे, लगते है मुझे सब ख्वाब अधूरे अपने,
अब तो वो उपरवाला भी जुदा नहीं कर सकता मुझको तुझसे..
बन के मेरा साया .... हर घडी... मेरे संग तू हैं!

Sunday, October 10, 2010

ख्याल-ए-यार





अभी अभी मेरे दिल में ये ख्याल आया हैं,
आज फिर तेरी तारीफ़ में कुछ कहने का ख्याल आया हैं !

फासले तो हमेशा थे और हमेशा ही रहेंगे,
आज दिल से मगर दूरियां निकालने का ख्याल आया हैं!

दूर रह के भी आप सदा दर्द-ए-दिल बने रहे,
आज इस दर्द को अपना कर,आपका रकीब बनने का ख्याल आया हैं!

शीशे में छनकती ...आब का ज़माना दीवाना हैं,
इसीलिए .... शीशा-ए-दिल में आपको उतारने का ख्याल आया हैं!

किस्सा,कहानियां, नज़राने... बहुत हो चुके अफसाने,
आज हाल-ए-दिल आपको सुनाने का ख्याल आया हैं!

ए वक़्त, हो सके तो ज़रा सा तू थम जा,
उन पुरानी यादों का दिल में आज तूफ़ान आया हैं!

गिर रहा हूँ मैं राहो में .. और फिर तेरी यादो में,
उठने का नहीं... और गहरा उतरने का ... आज ख्याल आया हैं!

Monday, October 4, 2010

लगता कुछ कम सा हैं.....




हैं सब कुछ मेरे पास, फिर भी क्यों लगता कुछ कम सा हैं...
दिल में हो के भी तू मेरे पास... मेरे पास... क्यों नहीं हैं..

एक ये आँखें है, जो हमेशा ही तुझे ढूँढ़ती है.......
एक ये दिल है जो तेरी याद में , उन्हे धुंधला कर देता है..
हैं सब कुछ मेरे पास, फिर भी क्यों लगता कुछ कम सा हैं...

घर से काम और काम से बस घर...इस में मैं बस गया हूँ..
तेरी याद ना आ पाए मुझे इसीलिए, इन ही में मैं उलझ गया हूँ!!
हैं सब कुछ मेरे पास, फिर भी क्यों लगता कुछ कम सा हैं...

कभी हम थे फ़िदा उन पे, कभी वो थे खफा हम पे..
पर दोनों ही सूरतो में, मैं मुन्तजिर ही रहा हूँ!!
हैं सब कुछ मेरे पास, फिर भी क्यों लगता कुछ कम सा हैं...

यार के हिजाब की सब तारीफ़ करे, ऐसे मेरा ख्वाब हैं
पर अपनी ख्वाहिशो से ज्यादा उनकी खुशियों की बलाएं माँगता हूँ
हैं सब कुछ मेरे पास, फिर भी क्यों लगता कुछ कम सा हैं...

हैं सब कुछ मेरे पास, फिर भी क्यों लगता कुछ कम सा हैं...
है कुछ भी नहीं मेरे पास, पर रब से उनकी खुशिया मांगता हूँ!!
हैं सब कुछ मेरे पास, फिर भी क्यों लगता कुछ कम सा हैं...