Sunday, May 22, 2011

बिन तेरे...





तेरी यादों से मैं और क्या सिला पाउँगा,
तनहा रह के भी .. मैं अब ना तनहा रह पाउँगा!

मय्कदो, महफ़िलो की रौशनी कहाँ मेरे लिए,
मैं इनमें .. तेरे गेसूओ का अन्धेरा कहाँ पाउँगा!

करवटो, सिलवटो में बस चुकी है तेरी यादें,
होगी सुबह ..... तो मैं थोड़ा और सो जाउँगा!

याद करता हूँ, उन वीरानो में हमारी मुलाकातें,
कल उस दरख़्त से .. मैं तेरी निशानी मांग लाउँगा!!

याद करता हूँ तेरी बातें और जी लेता हूँ,
जाने कब तक मैं इस तरह ज़िन्दगी को टाल पाउँगा!

ना "जीवन" की सुनी.. ना "ज़िन्दगी" की मानी..इसने
जाने इस दिल को ... अब मैं कैसे संभाल पाउँगा!

बस कुछ देर की हैं मेरी ये चंद साँसे,
बस एक आखिरी बार रुला के... फिर मैं चला जाउंगा!

Tuesday, May 10, 2011

ज़िन्दगी- बस ऐसे जीना.....





उजालो से जब वास्ता रखना,
अंधेरो को अपना निगहबान रखना!

हवा.. जब तेज़.. बहुत तेज़ .. आँचल उड़ाने लगे,
पकडे तुम तमन्नाओं का .. हर दम .. दामन रखना!

पूरी हो हर ख्वाहिश .. जब कभी भी तेरी,
गज भर ज़मीन.. आखिरी सफ़र की.. तब भी तैयार रखना!

बुरा क्या, भला क्या... वक़्त की पहचान क्या है?
क्या होगा.. ये ना सोच.. बस अपना खुदा याद रखना!

गर्मी पड़े.. या.. सर्दी.... या हो चाहे फुहार,
तुम बस अपने तजुर्बे को याद रखना!

किसी कूचे से अगर .. दे सुनाई .. किसी की आवाज़,
हर दहकती आग के लिए चशम-ए-रहम साथ रखना!

तेरे साथ हुआ क्या-क्या बुरा.... उनको तू भूल ही जा,
क़यामत में पूछेगा "वो" ... अपनी नेकिया तू याद रखना!

Saturday, May 7, 2011

दोस्त...हमसे रूठ के कैसे रह पाओगे!!




जो इस तरह तुम हमसे रूठ जाओगे,
मेरी छोड़ो, तुम खुद कैसे तनहा रह पाओगे!

मानता हूँ कभी किसी समय, हम अजनबी थे,
क्या गुजरा वक़्त इतनी आसानी से भुला पाओगे!

हमारी दोस्ती का उसूल हैं.."हर हालात, हर पल का साथ"
तुम सिक्के के चित को पट से कैसे जुदा कर पाओगे!

सवाल हैं दुनिया के, कब तक अकेले जूझोगे इनसे,
बिन आजमाए मेरे दोस्त, मेरी दोस्ती पे इलज़ाम कैसे लगा पाओगे!

रहोगे अलग...तो खुद को खुद से कैसे बचाओगे,
कांटे हटाकर फूल को महफूज़ कैसे रख पाओगे!

ममता नहीं, वफ़ा नहीं, ये दोस्ती का दामन है दोस्त,
इसे भी छुडा लिया, तो दुनिया से कैसे लड़ पाओगे!