जो देखा, वो लिखा...... यूँ ही अपना सफ़र चलता रहा!
सीखा जो सिखाया... मैं यूँ ही बस चलता रहा!
करने को तो, मैं भी रहगुज़र कर सकता था किसी एक कोने में,
पर मेरा सफ़र........
हर मोड़ पर, मुझे हर बार एक नया एहसास सिखाता रहा!
Tuesday, May 10, 2011
ज़िन्दगी- बस ऐसे जीना.....
उजालो से जब वास्ता रखना,
अंधेरो को अपना निगहबान रखना!
हवा.. जब तेज़.. बहुत तेज़ .. आँचल उड़ाने लगे,
पकडे तुम तमन्नाओं का .. हर दम .. दामन रखना!
पूरी हो हर ख्वाहिश .. जब कभी भी तेरी,
गज भर ज़मीन.. आखिरी सफ़र की.. तब भी तैयार रखना!
बुरा क्या, भला क्या... वक़्त की पहचान क्या है?
क्या होगा.. ये ना सोच.. बस अपना खुदा याद रखना!
गर्मी पड़े.. या.. सर्दी.... या हो चाहे फुहार,
तुम बस अपने तजुर्बे को याद रखना!
किसी कूचे से अगर .. दे सुनाई .. किसी की आवाज़,
हर दहकती आग के लिए चशम-ए-रहम साथ रखना!
तेरे साथ हुआ क्या-क्या बुरा.... उनको तू भूल ही जा,
क़यामत में पूछेगा "वो" ... अपनी नेकिया तू याद रखना!
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वास्ता in contact
ReplyDeleteनिगहबान Guardian
तमन्नाओं Hopes
ख्वाहिश Desires
वक़्त Time
गर्मी/सर्दी/फुहार Season of summer/winter/rain
कूचे Street
चशम-ए-रहम Water to help
क़यामत Doom day
नेकिया Good work done by one in his LIFE