Friday, November 18, 2011

आज फिर.. तेरी याद चली आई!

दिल से आज कोई.. फिर से .. तेरा नाम कह गया,
और फिर से मैं.. आज तेरी यादों पे.. तवज्जो दे गया!

आज फिर उस पुरानी कहानी पर नज़र पड़ गयी मेरी,
फिर एक पुराना लम्हा .. उन फूलो में नया रंग भर गया!

भूले तो नहीं हैं तुझे .. अब तलक हम,
आज वक़्त मुझे .. फिर से.. तेरी एक नयी तस्वीर दे गया!

वो कलियाँ, वो नज़ारे.. आज भी तेरे बारे में पूछते हैं हमसे,
कहते हैं - गुलशन का सबसे हसींन गुल .. कहाँ चला गया?

सोचा कि गुम हो जाउ.. इस जंगल में.. मैं भी कही,
आज ये शोर भी .. मुड़कर यूँ ही... तेरा नाम लेकर चला गया!

तेरे .. दूर जाते रिश्ते का.. मुझे मुड़कर यूँ अलविदा कहना,
जाते जाते, वो मुझे तोहफे में, उम्र भर का इंतज़ार दे गया!

जाने तुझे रकीब कहूं या कहूं दुश्मन अपना,
तू दे के अपना साया.. मेरे दामन पे एक स्याह छोड़ गया!

Saturday, November 5, 2011

तेरे इंतज़ार में .. क्या क्या ना किया मैंने!!

अपनी बर्बादी को हर बार मनाया मैंने,
रोते जज़्बात को हर बार समझाया मैंने!

आंसू तो छलके.. हर बार.. हर कोने से,
नाम तेरा ले ले के... हर बार.. इन्हें सुखाया मैंने!

दुनिया तो तेज़.. बहुत तेज़ निकली,
खुद को.. कल फिर.. वही.. तेरे साथ पाया मैंने!

कुछ कहा.. कुछ सुना.. बस यही मेरा फ़साना हैं,
पर हर बार.. कुछ तेरा सा.. हर तराने में गाया मैंने!

दूरी नजरो की हैं, दिल से तो हम आज भी एक हैं,
कल तेरे साए को.. अपने कमरे के बाहर खडा पाया मैंने!

मेरे इतने सजदो को मेरी कोई तलब ना समझना मौला,
अपनी हर अता में.. उसकी सलामती का कलमा दोहराया मैंने!