जो देखा, वो लिखा...... यूँ ही अपना सफ़र चलता रहा!
सीखा जो सिखाया... मैं यूँ ही बस चलता रहा!
करने को तो, मैं भी रहगुज़र कर सकता था किसी एक कोने में,
पर मेरा सफ़र........
हर मोड़ पर, मुझे हर बार एक नया एहसास सिखाता रहा!
Sunday, June 19, 2011
कैसे हैं आप ?
उनसे बिछड के हम रोते हैं,
किसको पता.. वो.. कैसे जीते होंगे!
सबके आगे तो वो हमेशा ही हँसते दिखेंगे,
मेरा नाम ले के देखना ... किसी कोने में खडे मिलेंगे!
अपने इश्क का स्वाद.. कुछ खट्टा.कुछ मीठा.. हम रोज़ चखते हैं,
वो भी कभी-कभी, अपने गालो पे नमक चखते होंगे!
खानाबदोश से हम.... कभी इस डगर, कभी उस डगर,
वो भी कभी-कभी अपने तलो में, दर्द की शिकायत करते होंगे!
महफ़िलो में कहाँ बशर, भीड़ से तन्हाई ज्यादा रास आती हैं,
उनसे पूछो, उनकी शामो में भी दो ही रंग होते होंगे!
आइनो, तस्वीरो, यादो के सहारे .... हम हो लिए,
वो भी दिन भर रास्तो पे निगाह बिछाते होंगे!
उनसे मैं अब क्या मांगू, क्या मैं कहूँ उन से...
वो तो अब खुद, खुदा की परस्तिश में लगे होंगे!
Monday, June 6, 2011
एक आखिरी बार
तेरी उस मुलाक़ात का सुर्ख नशा .. आज भी कायम है,
अंजाम भी हो आगाज़ सा, बस एक आखिरी बार चले आना!
एक हसीन तोहफा .. वक़्त मेरा.. तेरा इंतज़ार कर रहा हैं,
हो सके .. तो आ के दबे पाँव .. इसे ले जाना!
मेरी इश्क ... मेरा कुफ्र नहीं... सजदा-ए-सनम हैं,
हो सके तो मेरे बाद, ये इबादत तुम भी दोहराना!
नगमे, नज़ारें, महफिले, कहकशां, ये तुम्हे मुबारक सनम,
हो जब नशे में तुम, हमे मनहूस कहने चले आना!
मेरा हाल देखकर, तुम क्या आंसू बहाओगे,
एक अदद आह भर देना, बस इतना कर जाना!
होश अब धीरे-धीरे मेरा साथ छोड़ता जा रहा हैं,
मेरी रूह के सुकून के लिए, झूठ ही सही ... हमे "सनम" कह जाना!
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