Saturday, September 25, 2010

ढलती शामें...और मेरी यादें





आज ज़िन्दगी की एक और शाम ढल गयी....
दे के कुछ हसीं यादें, एक पल कम कर गयी....
कुछ गम, कुछ आंसू, और कुछ हँसी के पल दिए इसने,
दिए कुछ अंधेरे .... कुछ तारे चमका के चली गयी....

चाहता था मैं भी हँसना, और लोगो को हँसाना,
चाहता था रूठ कर मैं, उनसे अपनी बाते मनवाना,
पर कुछ ही पल में, मैं हो गया सबसे बेगाना...
हँसा-हँसा कर ये, मेरी आँखों मैं बिछड़ने के आंसू दे गयी..

आज ज़िन्दगी की .....................................कम कर गयी

हो शामिल हर दम..हर महफ़िल में, आप मेरे साथ
ना हो भी आप मुद-दा, पर करता हूँ आप ही की बात,
जाने किस रंग से.. किस बात से..ये हो गया है जादू........
बना के हमे मोहसिन, वो दूसरो के जानिब हो गयी!!

आज ज़िन्दगी की .....................................कम कर गयी

बिछड़ गए तो क्या, हम सदा यही दुआ करेंगे
रहो तुम सदा जीतते, यही बस तमन्ना करेंगे
ना मुड़ पाओ हमारे लिए, तो हमे रश्क ना होगा.
आपकी यादो का तोहफा जो... ये ज़िन्दगी हमे दे गयी..

आज ज़िन्दगी की .....................................कम कर गयी

Thursday, September 9, 2010

आपकी आँखों में बस...




कल रात, बहुत देर तक हम उन्हें सोचते रहे....
खुली आँखों के उजले सपनो में उन्हें ताकते रहे!
पड़ी सूरज की किरण आँखों पे तो पता चला सुबह हो गयी.......
हम आखिरी किरण के जाने तक, फिर पुरानी यादें ताज़ा करते रहे!


आँखों के बारे में सोचा तो हम नींद ही भूल गए,
छलके जो आब-ए-दीद, उनका भी पता ना चला..
हर लम्हा हर घडी वो देखती रही एक टक मेरी ओर....
उनमें डूबकर हमे इस दुनिया के पहरों का भी पता ना चला!


अश्को से लिखी, हमने उन आँखों की बातें,
ना जानी, ना समझी किसी ने... लिखी कुछ ऐसी बातें
रंग, साज़, खूबसूरती ....... और क्या होंगे इन से बढकर
बस खींच लेती हैं, मुझे खुद में.. आपकी वो दो आँखें!

Monday, September 6, 2010

अब और क्या कहू?




इस क़दर मैने आप से मोहब्बत की हैं,
मैंने दिल ही दिल में, तेरी परस्तिश की हैं!

साहिल से पूछ, क्यों बार बार वो लहरों से मार खाता हैं?
मैने साहिल की तरह, हरदम तेरा साथ देने की कसम ली हैं!

हो अगर पूछना, तो परवाने से उसका गम जान लेना,
मैने भी उसी की तरह, ये जिंदगानी तेरे नाम की हैं!

हो सके तो साँसों और धड़कन को जुदा करने की कोशिश करना,
मैने दिल में तेरी तस्वीर ऐसे छुपा के रखी हैं!

ज़ख़्म और दर्द का जितना पुराना है रिश्ता,इस जहां में,
मैं तेरा कर सकू उतना इंतज़ार, ये मैने गुजारिश की हैं!

हैं बात बहुत सीधी, पर लगती है थोड़ी मुश्किल,
मैने कर के "खुदा" से बगावत, दिल में तेरी रहनुमाई ज़िंदा रखी हैं!