जो देखा, वो लिखा...... यूँ ही अपना सफ़र चलता रहा!
सीखा जो सिखाया... मैं यूँ ही बस चलता रहा!
करने को तो, मैं भी रहगुज़र कर सकता था किसी एक कोने में,
पर मेरा सफ़र........
हर मोड़ पर, मुझे हर बार एक नया एहसास सिखाता रहा!
Saturday, September 25, 2010
ढलती शामें...और मेरी यादें
आज ज़िन्दगी की एक और शाम ढल गयी....
दे के कुछ हसीं यादें, एक पल कम कर गयी....
कुछ गम, कुछ आंसू, और कुछ हँसी के पल दिए इसने,
दिए कुछ अंधेरे .... कुछ तारे चमका के चली गयी....
चाहता था मैं भी हँसना, और लोगो को हँसाना,
चाहता था रूठ कर मैं, उनसे अपनी बाते मनवाना,
पर कुछ ही पल में, मैं हो गया सबसे बेगाना...
हँसा-हँसा कर ये, मेरी आँखों मैं बिछड़ने के आंसू दे गयी..
आज ज़िन्दगी की .....................................कम कर गयी
हो शामिल हर दम..हर महफ़िल में, आप मेरे साथ
ना हो भी आप मुद-दा, पर करता हूँ आप ही की बात,
जाने किस रंग से.. किस बात से..ये हो गया है जादू........
बना के हमे मोहसिन, वो दूसरो के जानिब हो गयी!!
आज ज़िन्दगी की .....................................कम कर गयी
बिछड़ गए तो क्या, हम सदा यही दुआ करेंगे
रहो तुम सदा जीतते, यही बस तमन्ना करेंगे
ना मुड़ पाओ हमारे लिए, तो हमे रश्क ना होगा.
आपकी यादो का तोहफा जो... ये ज़िन्दगी हमे दे गयी..
आज ज़िन्दगी की .....................................कम कर गयी
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बहुत अर्थपूर्ण अभिव्यक्ति. आभार.
ReplyDeleteअच्छी अभिव्यक्ति, शुभकामनाएं।
ReplyDeleteएक भावपूर्ण रचना|
ReplyDeleteभावपूर्ण रचना अभिव्यक्ति अच्छी है
ReplyDeleteswagat hai aapka
http://www.jakhira.blogspot.com
सार्थक प्रस्तुति
ReplyDeleteअच्छी अभिव्यक्ति
ReplyDeleteइस सुंदर से चिट्ठे के साथ हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
ReplyDeleteभावपूर्ण रचना अच्छी अभिव्यक्ति.
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