जो देखा, वो लिखा...... यूँ ही अपना सफ़र चलता रहा!
सीखा जो सिखाया... मैं यूँ ही बस चलता रहा!
करने को तो, मैं भी रहगुज़र कर सकता था किसी एक कोने में,
पर मेरा सफ़र........
हर मोड़ पर, मुझे हर बार एक नया एहसास सिखाता रहा!
Monday, September 6, 2010
अब और क्या कहू?
इस क़दर मैने आप से मोहब्बत की हैं,
मैंने दिल ही दिल में, तेरी परस्तिश की हैं!
साहिल से पूछ, क्यों बार बार वो लहरों से मार खाता हैं?
मैने साहिल की तरह, हरदम तेरा साथ देने की कसम ली हैं!
हो अगर पूछना, तो परवाने से उसका गम जान लेना,
मैने भी उसी की तरह, ये जिंदगानी तेरे नाम की हैं!
हो सके तो साँसों और धड़कन को जुदा करने की कोशिश करना,
मैने दिल में तेरी तस्वीर ऐसे छुपा के रखी हैं!
ज़ख़्म और दर्द का जितना पुराना है रिश्ता,इस जहां में,
मैं तेरा कर सकू उतना इंतज़ार, ये मैने गुजारिश की हैं!
हैं बात बहुत सीधी, पर लगती है थोड़ी मुश्किल,
मैने कर के "खुदा" से बगावत, दिल में तेरी रहनुमाई ज़िंदा रखी हैं!
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परस्तिश - worship
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