जो देखा, वो लिखा...... यूँ ही अपना सफ़र चलता रहा!
सीखा जो सिखाया... मैं यूँ ही बस चलता रहा!
करने को तो, मैं भी रहगुज़र कर सकता था किसी एक कोने में,
पर मेरा सफ़र........
हर मोड़ पर, मुझे हर बार एक नया एहसास सिखाता रहा!
Tuesday, August 24, 2010
तनहा मैं.....और.....ये दुनिया !!
मैं बारिश में भीगता, गीली आँखों के साथ जलता हूँ
लोग हमेशा मुझसे मेरी मुस्कराहट का राज़ पूछते हैं..
घिसी हुयी खड़ी से, उसके कम होने का कारण कोई क्यों पूछे??
सभी काली दीवार पर, अच्छी लिखाई को सराहते हैं..
दर-ब-दर भटकते परवेश का ठिकाना कोई क्यों मालूम करे?
मिल जाए जो वो रहम-दिल, तो दुआ-ए-ज़िन्दगी सभी चाहते हैं...
एक ग़मगीन शायर की तन्हाई.. को रहती है साकी की तलाश,
पर नासमझ.. बेवफा की बेवफाई को एक हसीं अदा मानते हैं!!
Tuesday, August 17, 2010
मेरी दोस्त :-)
हैं वो एक कली सी, एक महकते फूल सी,
लगती हैं इस युग में, भगवान् की कोई भूल सी,
इतनी प्यारी, नेक सीरत और मासूम हैं वो.....
हैं नहीं वो इंसान, वो हैं... फरिश्तो के मूल की!
हर वक़्त, हर बात पर वो अनजान सी दिखती हैं,
पर अनजान बातो पर, वो बात सधी सी कर जाती हैं
हैं, साफ़ दिल, जज़्बात, मन और जुबान उसकी,
फिर भी हर बात में, खुद से शर्मा जाती हैं!
कभी बच्चो सी मासूम बनकर, खुद पर इतराती हैं,
कभी अपने लड़कपन में, अपनी अदाओ पर इठलाती हैं.
वो पर हैं सादगी से भरी...इतनी भोली,
पल पल अपनी ही बातें सोचकर, उन पर ही सब को हसाती हैं!
खुदा लोग उसके जैसे, बस कुछ और बना दे,
फरिश्तो की ज़रूरत नहीं, लोग दोस्तों से ही काम चला ले,
क्या होगा इस दुनिया का, मुझे कोई फिकर नहीं....
मेरे लिए तो बस वो, तेरा साथ ताउम्र लिख दे!
Friday, August 6, 2010
हौसला बुलंद
मिलता अगर ये जहान मुकम्मल, तो इबादत कोई क्यूँ करता
मिलती अगर हर शह अपनी मुट्ठी में, तो कोई मेहनत ही क्यों करता,
चाहने वालो की चाहत हमेशा उनके दिलो में रहती है...
जो ना होती दिल में ही अगर ये चाहत, तो कुछ कर गुजरने की हसरत कोई क्यों करता
तोडे कई पहाड कईयो ने, तो मोडे कई दरिया किसी ने,
थी आरजू उनके दिल में, तो किये ऐसे हजार काम उन्होंने,
था दिल में बस एक ही जजबा ..कि पाना है अपनी हसरतो को,
उसके लिए खुदा तक को भी , मजबूर कर दिया उन्होंने!!
हो पक्का इरादा और दिल में एक भूख जीतने की,
तो छीन लेते है वो रौशनी भी आग की,
नज़र नज़र का फर्क होता है दोस्तों ऐसे लोगो में,
दिखती है जहां खाई किसी को, आशियाने बसा लेती है वहा भी जिंदगी...
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