जो देखा, वो लिखा...... यूँ ही अपना सफ़र चलता रहा!
सीखा जो सिखाया... मैं यूँ ही बस चलता रहा!
करने को तो, मैं भी रहगुज़र कर सकता था किसी एक कोने में,
पर मेरा सफ़र........
हर मोड़ पर, मुझे हर बार एक नया एहसास सिखाता रहा!
Tuesday, August 17, 2010
मेरी दोस्त :-)
हैं वो एक कली सी, एक महकते फूल सी,
लगती हैं इस युग में, भगवान् की कोई भूल सी,
इतनी प्यारी, नेक सीरत और मासूम हैं वो.....
हैं नहीं वो इंसान, वो हैं... फरिश्तो के मूल की!
हर वक़्त, हर बात पर वो अनजान सी दिखती हैं,
पर अनजान बातो पर, वो बात सधी सी कर जाती हैं
हैं, साफ़ दिल, जज़्बात, मन और जुबान उसकी,
फिर भी हर बात में, खुद से शर्मा जाती हैं!
कभी बच्चो सी मासूम बनकर, खुद पर इतराती हैं,
कभी अपने लड़कपन में, अपनी अदाओ पर इठलाती हैं.
वो पर हैं सादगी से भरी...इतनी भोली,
पल पल अपनी ही बातें सोचकर, उन पर ही सब को हसाती हैं!
खुदा लोग उसके जैसे, बस कुछ और बना दे,
फरिश्तो की ज़रूरत नहीं, लोग दोस्तों से ही काम चला ले,
क्या होगा इस दुनिया का, मुझे कोई फिकर नहीं....
मेरे लिए तो बस वो, तेरा साथ ताउम्र लिख दे!
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महकते फूल Fragrant flower
ReplyDeleteयुग Era
नेक सीरत Clear Intentions
फरिश्तो Angel
जज़्बात Feelings
लड़कपन Childhood
फिकर Worry
ताउम्र Whole life