जो देखा, वो लिखा...... यूँ ही अपना सफ़र चलता रहा!
सीखा जो सिखाया... मैं यूँ ही बस चलता रहा!
करने को तो, मैं भी रहगुज़र कर सकता था किसी एक कोने में,
पर मेरा सफ़र........
हर मोड़ पर, मुझे हर बार एक नया एहसास सिखाता रहा!
Friday, August 6, 2010
हौसला बुलंद
मिलता अगर ये जहान मुकम्मल, तो इबादत कोई क्यूँ करता
मिलती अगर हर शह अपनी मुट्ठी में, तो कोई मेहनत ही क्यों करता,
चाहने वालो की चाहत हमेशा उनके दिलो में रहती है...
जो ना होती दिल में ही अगर ये चाहत, तो कुछ कर गुजरने की हसरत कोई क्यों करता
तोडे कई पहाड कईयो ने, तो मोडे कई दरिया किसी ने,
थी आरजू उनके दिल में, तो किये ऐसे हजार काम उन्होंने,
था दिल में बस एक ही जजबा ..कि पाना है अपनी हसरतो को,
उसके लिए खुदा तक को भी , मजबूर कर दिया उन्होंने!!
हो पक्का इरादा और दिल में एक भूख जीतने की,
तो छीन लेते है वो रौशनी भी आग की,
नज़र नज़र का फर्क होता है दोस्तों ऐसे लोगो में,
दिखती है जहां खाई किसी को, आशियाने बसा लेती है वहा भी जिंदगी...
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जहान - WORLD
ReplyDeleteइबादत - Prayer
मूक-ऍम-मल - Completely
जजबा - Will to do anything