जो देखा, वो लिखा...... यूँ ही अपना सफ़र चलता रहा!
सीखा जो सिखाया... मैं यूँ ही बस चलता रहा!
करने को तो, मैं भी रहगुज़र कर सकता था किसी एक कोने में,
पर मेरा सफ़र........
हर मोड़ पर, मुझे हर बार एक नया एहसास सिखाता रहा!
Thursday, July 8, 2010
बद-गुमाँ
सोचता था कि ये एक गुमाँ होगा,
उसके चेहरे में कोई आइना होगा!
उसकी बातें तो हमेशा मुझे खीचती थी,
बातो में ही, उसकी कोई नशा होगा!
तन्हाई में भी वो साथ मेरे रहती थी,
पिछले जनम का, ये हमारा रिश्ता होगा!
यादों में आज भी उनकी खुशबु हैं शामिल,
ये तब की होगी, जब मैने उन्हे छुआ होगा!
वो थी जब हंसती मेरी बातों पर,
लगता.. उसके दिल में भी मेरी मुकाम होगा!
आज नहीं हैं वो साथ मेरे...
पर मेरी धड़कन से, उसका भी दिल चलता होगा!
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गुमाँ - Illusion
ReplyDeleteआइना - Mirror