Monday, November 23, 2009

याद करते हैं आपको.....अब भी.... ज़रा ज़रा!


तो क्या अगर ये दुनिया कहती है हमे मरा..
हम अब भी उनकी याद में हंसते है जरा-जरा!!

बात करने से ज़िक्र, तो आयेगा ही आपका,
इसीलिए हम बात भी करते है अब जरा-जरा!!!

मेरी चाहत और मेरा जीना..... नहीं दोनों अलग है..
दिल ने धड़कन को इसका... इल्म है कब का दिया करा....

यादो ने तेरी वाजिब और वादों ने बनाया काबिल..
पहले लटकाते थे, अब उठाते है हम हौसला जरा-जरा!!

यादें तेरी..ही तो है मेरा खज़ाना सबसे बड़ा...
रोज़ तुझे सोच के, इसके सोने को करता हूँ मैं खरा !!

Saturday, November 14, 2009

मैं अब भी उम्मीद रखता हूँ


हर रात अपने सिरहाने पे, मैं एक उम्मीद रखता हूँ,
हर रात अपने ज़ेहन में, तेरी एक तस्वीर रखता हूँ..
हो वो रात, आम रातो से लम्बी, जब तू ख्वाब में निगाहबां हो,
मैं दिन भर, बस ऐसी रात का, आँखों में इंतज़ार रखता हूँ!

पहले आप हमेशा हमे उजालो में मिला करते थे,
हंसते..खिल-खिलाते, हमारी नूर-ए-नज़र बने रहते थे...
हो गए जब से ओझल, आप इन नजरो से,
मैं हर पल, दिल में आपका इंतज़ार लिए फिरता हूँ!
और
हर रात अपने सिरहाने पे, मैं एक उम्मीद रखता हूँ,

अब मुझे मय्कदो के हर जाम, हर प्याले में, आप दिखती हैं,
हर बसे हुए आशियानों में, आपकी तासीर दिखाती हैं..
लोगो ने तो मेरा नाम भी रख डाला हैं "दीवाना"
ये दीवानगी दिल में लिए.. मैं बस दर-ब-दर भटकता हूँ!
इसीलिए
हर रात अपने सिरहाने पे, मैं एक उम्मीद रखता हूँ,

सुनने को आपकी आवाज़ मैं हर मुमकिन कोशिश करता हूँ,
पर ना हो आपको भी इसका इलम, ये पुरजोर कोशिश करता हूँ..
मुझे मेरी ही बे-वफाई का डर.... हमेशा सताता हैं,
मैं तेरी ख़ुशी के लिए, तुझसे दूर रहा करता हूँ!
पर
हर रात अपने सिरहाने पे, मैं एक उम्मीद रखता हूँ!

Sunday, November 1, 2009

मैं तुझे पाऊ कैसे??



मैं एक हाँ कहू कैसे?
मैं एक ना कहू कैसे?
मैं खड़ा हूँ एक ऐसे मोड़ पे,
मैं पीछे हटू कैसे, मैं आगे बदू कैसे??

मैं खुशियाँ सदा तेरी चाहता हूँ,
मैं गम से सिर्फ अपना रिश्ता माँगता हूँ,
सोचता रहता हूँ, बस यहीं हर पल.....
मैं तुझे भूलू कैसे, मैं तुझे पाऊ कैसे??

मैं तिजारत मे कमी नहीं, एक एहसास चाहता हूँ,
मैं तेरा साथ नहीं, तेरे साथ होने का एहसास चाहता हूँ..
अब मांगू भी तो क्या मांगू उस रब से॥
मैं अपनी आँखों में तेरी खुशियों के आंसू पाऊ कैसे??

मैं चाहता हूँ सब कुछ मुझे मिल जाए,
ना कल का इंतज़ार मुझे, सब आज अभी मिल जाए...
होता इश्क का फल, सब्र से भी मीठा...(ऐसा लोग कहते है....)
इस सब्र को, मैं खुद पे आज़माऊ कैसे??

तेरी याद....



आज फिर मेरी बंद आँखों में तेरा चेहरा आ गया..
भूल गया था जिस अतीत को, वो फिर सामने आ गया!
पल भर के लिए तो चैन पड़ा इस दिल को,
फिर वो लम्हा, सब खुशियों को ले के चला गया!!

दोस्त, आज भी तुझे मेरे नाम से जोड़ते हैं,
हम उनके साथ हँसते, पर तन्हाई में रोते हैं,
हर दिन, हर पल, हर समय ही याद तेरी आती हैं,
हम अतीत की गहराई में, खुद को तनहा पाते हैं!

रोज़, लोगो की भीड़ में, मैं तेरा चेहरा तलाशता हूँ,
हर एक आवाज़ में, अपना नाम तेरे सुरों में ढूँढ़ता हूँ,
लोग कहते हैं दीवाना, हमे हर एक शमा का,
मैं वो परवाना हूँ...जो शमा में नहीं....शमा की याद में जलता हूँ!!