Monday, November 23, 2009

याद करते हैं आपको.....अब भी.... ज़रा ज़रा!


तो क्या अगर ये दुनिया कहती है हमे मरा..
हम अब भी उनकी याद में हंसते है जरा-जरा!!

बात करने से ज़िक्र, तो आयेगा ही आपका,
इसीलिए हम बात भी करते है अब जरा-जरा!!!

मेरी चाहत और मेरा जीना..... नहीं दोनों अलग है..
दिल ने धड़कन को इसका... इल्म है कब का दिया करा....

यादो ने तेरी वाजिब और वादों ने बनाया काबिल..
पहले लटकाते थे, अब उठाते है हम हौसला जरा-जरा!!

यादें तेरी..ही तो है मेरा खज़ाना सबसे बड़ा...
रोज़ तुझे सोच के, इसके सोने को करता हूँ मैं खरा !!

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