जो देखा, वो लिखा...... यूँ ही अपना सफ़र चलता रहा!
सीखा जो सिखाया... मैं यूँ ही बस चलता रहा!
करने को तो, मैं भी रहगुज़र कर सकता था किसी एक कोने में,
पर मेरा सफ़र........
हर मोड़ पर, मुझे हर बार एक नया एहसास सिखाता रहा!
Tuesday, September 25, 2012
अब कैसे दिल को समझाए...
हमें तो लगा की कुछ लम्हे सरक रहे हैं ,
जाने ये , कई साल .. कैसे गुज़र गए!
रंज-ए-तन्हाई का कोई सबब ना मिला ,
कई बेवफा रातो के गुमनाम पल , यूँ ही हम से विदा हो गए!
बरसात की एक रात में , मेरे कातिल मुझ से मिलने आये ,
भीगे दिल , नाम आँखें लिए .... वो यूँ ही चले गए!
रात ख्वाब में , एक जाम और उस में मदमस्त मय दिखी,
पी के प्याला जो कदम लडखड़ाये , सारे जाम मुझे छोड़ के चले गए!
मांझी की दीवारों पे कुछ यादो की तस्वीरे अब भी टांग रखी हैं ,
यार तो सब चले गए , सिर्फ सुराख -ए-दिल ही बाकी रह गए!
मुस्कुराती सी तेरी हर बात और .. तेरे वो नगमे ,
हम बढ के भी आगे .... अपनी राहो में , अपने साए को तेरी नज़र कर गए!
Thursday, September 13, 2012
ज़रा .. आ के देखो!
एक अरसा हुआ, आ के देखो , हम कैसे दिखते हैं ,
हम आज भी , हर अक्स में .. बस तुझे ही देखते हैं !
तुमने हर एक बात , कानो से सुनी ... आँखों से देखी हैं ,
हम हर एक अलफ़ाज़ को आज भी दिल से देखते हैं !
ज़िन्दगी की बाज़ी में , कभी जीते तो कभी हम हारे हैं ,
तुमसे कितना हारे -जीते ... आज ये हिसाब देखते हैं !
कहते है , आँखें ही दिल की जुबान होती हैं ,
आओ करीब हमारे , आज इस किताब के अलफ़ाज़ देखते हैं !
हमको दीवाना बताकर , बुत पत्थर मार के चले गए ,
आँखों से किन के सावन बरसे , गिनती उनकी देखते हैं !
कहते रहे कई अफ़साने , मुझे राहे बताते रहे ,
हम आज तलक अपनी नहीं , अपने जाम की चाल देखते हैं !
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