बदलाव .... जो आप लाये
मुझे आज एक मुकम्मल शाम मिल गयी,
मेरी मसरूफ ज़िन्दगी में कुछ हसीं पल भर गयी,
थी शायद आज ये ज़िन्दगी भी मुझ पे कुछ मेहरबान....
मेरी तन्हाई में ये तेरी मुस्कराहट भर गयी!!
चाहत .... जो आप लाये
जानने में तुझे ये ज़िन्दगी बिताना चाहता हूँ,
बस एक बार, मैं खुद को आजमाना चाहता हूँ,
मुझे नहीं पता, हैं ये तेरी कशिश या दीवानगी मेरी,
मैं बस अपनी पहचान, तेरे नाम से बनाना चाहता हूँ!
जो देखा, वो लिखा...... यूँ ही अपना सफ़र चलता रहा!
सीखा जो सिखाया... मैं यूँ ही बस चलता रहा!
करने को तो, मैं भी रहगुज़र कर सकता था किसी एक कोने में,
पर मेरा सफ़र........
हर मोड़ पर, मुझे हर बार एक नया एहसास सिखाता रहा!
Monday, June 28, 2010
Saturday, June 19, 2010
मेरी नादान कोशिश ...!!
हमने सुबकती आँखों को इस कागज़ पर,
उकेरने की नाकाम कोशिश की हैं.
हमने कांपते होठो की मद्धम आवाज़ को,
यहाँ एक गूँज बनाने की कोशिश की हैं....
बिन पीये हमे दीवानगी दिखी..
और हम थोड़ा सा बहक गए,
हमने उस खुमारी को ..बिन घुंघुरू के,
इस चक्कते पे नचाने की कोशिश की हैं!
मुश्ताक-ऐ-दीद थे उन दिनों हम,
नतीजा-ऐ-इश्क से अनजान थे,
हमने उन बेताब पलो की चोटो को
नासूर बनाने की पुरजोर कोशिश की हैं
निजात पा सके इस दौर से,
कभी ऐसा तसव्वुर ना रखा हमने,
हमने हर आते-जाते झोंके में,
उनकी छुअन महसूस करने की,ता-उम्र, कोशिश की हैं!
दिल में छुपे इस इश्क का,
हम कोई परचम नहीं चाहते..
आप चाहे जहां रहे..बस खुश रहे..
हर अता में.. हमने यही गुजारिश की हैं!
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