जो देखा, वो लिखा...... यूँ ही अपना सफ़र चलता रहा!
सीखा जो सिखाया... मैं यूँ ही बस चलता रहा!
करने को तो, मैं भी रहगुज़र कर सकता था किसी एक कोने में,
पर मेरा सफ़र........
हर मोड़ पर, मुझे हर बार एक नया एहसास सिखाता रहा!
Saturday, June 19, 2010
मेरी नादान कोशिश ...!!
हमने सुबकती आँखों को इस कागज़ पर,
उकेरने की नाकाम कोशिश की हैं.
हमने कांपते होठो की मद्धम आवाज़ को,
यहाँ एक गूँज बनाने की कोशिश की हैं....
बिन पीये हमे दीवानगी दिखी..
और हम थोड़ा सा बहक गए,
हमने उस खुमारी को ..बिन घुंघुरू के,
इस चक्कते पे नचाने की कोशिश की हैं!
मुश्ताक-ऐ-दीद थे उन दिनों हम,
नतीजा-ऐ-इश्क से अनजान थे,
हमने उन बेताब पलो की चोटो को
नासूर बनाने की पुरजोर कोशिश की हैं
निजात पा सके इस दौर से,
कभी ऐसा तसव्वुर ना रखा हमने,
हमने हर आते-जाते झोंके में,
उनकी छुअन महसूस करने की,ता-उम्र, कोशिश की हैं!
दिल में छुपे इस इश्क का,
हम कोई परचम नहीं चाहते..
आप चाहे जहां रहे..बस खुश रहे..
हर अता में.. हमने यही गुजारिश की हैं!
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सुबकती - Teary
ReplyDeleteउकेरने - To carve
मद्धम आवाज़ - very little voice
खुमारी - madness
चक्कते - cicular wheel used by potmakers
मुश्ताक-ऐ-दीद - eager to watch
नतीजा-ऐ-इश्क - result of love
नासूर - very old unhealed cut
निजात - To free
तसव्वुर - Thought
ता-उम्र - Whole life
परचम - Flag of victory
अता - Prayer
गुजारिश - Request