Wednesday, October 31, 2012

सवाल-ए-फितरत-ए- जिंदगी





जो हुआ, सो हुआ,....पर मेरा सवाल है सब से,
जो हुआ, क्यों हुआ??? ..... क्या ये ज़रूरी हैं!

मिलना-बिछड़ना, खेल है या ये मेल है किस्मत का,
इंसान का दोनों पे ही रोना ... ये रोना, क्या ज़रूरी हैं!

कभी गुस्सा, कभी हंसना.... कभी पाना, कभी खोना,
मिटटी के पुतले का यूँ जीना....... यूँ जीना, क्या ज़रूरी हैं!

कभी पेड़ सी झूमती... तो कभी बर्फ सी पिघलती,
ऐ ज़िन्दगी.. तेरा मुझे नचाना, ये नचाना, क्या ज़रूरी हैं!

हाथ की नियति काम को करना और दिमाग का ... करवाना,
फिर क्यों ऊपर वाले को पूजना... ये पूजा, क्या ज़रूरी हैं!

होश में आऊं तो देखू.... बंद आँखों से सोच पडे,
अपने काल से डरते रहना... ये डरना, क्या ज़रूरी हैं!

Tuesday, October 23, 2012

वो रात.... वो जज़्बात





ये उस रात की बात है, जब हम आस-पास थे,
हलकी सी बारिश हो रही थी... और दिल में बरसते जज़्बात थे!
यूं तो हम चुप थे.. और वो भी खामोश थे,
पर नज़र कह रही थी... ये नहीं कोई आम रात हैं!

Wednesday, October 10, 2012

पुरानी आदते





जब कभी भी याद तेरी आती हैं ,
आँखों में एक तेज़ बरसात हो आती हैं !

हो के अब दूर तुझ से , हमने तुझे पास पाया ,
गलतियाँ कल की , मुझे आज भी तडपाती हैं !

याद आता है , तेरा मेरे चश्मे को यूं ही साफ़ करते रहना ,
इन गीली आँखों से अब ... मुझे हर चीज़ धुंधली दिखाई देती हैं !

इस तक्कलुफ़ को मैंने खुद अपनाया है कि रोज़ तुझे याद करता हूँ ,
वरना कहाँ ये धड़कने... मुझे चैन से जीने देती हैं !

अब तो अफ़सोस हैं कि हम यूँ दूर हो गए,
पर जाने क्यों हर अक्स में तू ही नज़र आती हैं !

Tuesday, October 2, 2012

भाग-म-भाग




इंसान को खुशियों से इस कदर मोहब्बत होती हैं !
अपनी खुद की शख्शियत से भी नाराजगी .. उम्र भर रहती हैं !

जिसको आशिकी मिली .. वो पैसे के लिए भाग रहा हैं ,
दौलत भरे हाथो की आँखें .. छूटे रिश्तो के लिए तरसती रहती हैं !

आती जाती लहरों से तो वास्ता कभी रखा नहीं इंसान ने ,
पास आते सायो से हमेशा उसकी नाराज़गी रहती हैं !

छोड़ के ये जिस्म .. बन रूह हर मसले से निजात पाना चाहता हैं ,
और , उन रूहों को फिर से शरीर पाने की तलब रहती हैं !

कहना ही क्या .. किस किस चाहत की कसक पे रो रहा हैं,
मिल जाए खुदाई भी .. तो क़ैद होने की बैचैनी बनी रहती हैं !