जो देखा, वो लिखा...... यूँ ही अपना सफ़र चलता रहा!
सीखा जो सिखाया... मैं यूँ ही बस चलता रहा!
करने को तो, मैं भी रहगुज़र कर सकता था किसी एक कोने में,
पर मेरा सफ़र........
हर मोड़ पर, मुझे हर बार एक नया एहसास सिखाता रहा!
Wednesday, October 10, 2012
पुरानी आदते
जब कभी भी याद तेरी आती हैं ,
आँखों में एक तेज़ बरसात हो आती हैं !
हो के अब दूर तुझ से , हमने तुझे पास पाया ,
गलतियाँ कल की , मुझे आज भी तडपाती हैं !
याद आता है , तेरा मेरे चश्मे को यूं ही साफ़ करते रहना ,
इन गीली आँखों से अब ... मुझे हर चीज़ धुंधली दिखाई देती हैं !
इस तक्कलुफ़ को मैंने खुद अपनाया है कि रोज़ तुझे याद करता हूँ ,
वरना कहाँ ये धड़कने... मुझे चैन से जीने देती हैं !
अब तो अफ़सोस हैं कि हम यूँ दूर हो गए,
पर जाने क्यों हर अक्स में तू ही नज़र आती हैं !
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बरसात - Rain
ReplyDeleteगलतियाँ - Mistakes
तडपाती - Torture
चश्मे - Spectacles
धुंधली - Not Clear Vision
तक्कलुफ़ - Formality
धड़कने - Heartbeats
अफ़सोस - To Regret
अक्स - Image