Tuesday, October 2, 2012

भाग-म-भाग




इंसान को खुशियों से इस कदर मोहब्बत होती हैं !
अपनी खुद की शख्शियत से भी नाराजगी .. उम्र भर रहती हैं !

जिसको आशिकी मिली .. वो पैसे के लिए भाग रहा हैं ,
दौलत भरे हाथो की आँखें .. छूटे रिश्तो के लिए तरसती रहती हैं !

आती जाती लहरों से तो वास्ता कभी रखा नहीं इंसान ने ,
पास आते सायो से हमेशा उसकी नाराज़गी रहती हैं !

छोड़ के ये जिस्म .. बन रूह हर मसले से निजात पाना चाहता हैं ,
और , उन रूहों को फिर से शरीर पाने की तलब रहती हैं !

कहना ही क्या .. किस किस चाहत की कसक पे रो रहा हैं,
मिल जाए खुदाई भी .. तो क़ैद होने की बैचैनी बनी रहती हैं !

2 comments:

  1. खुशियों - Happiness
    कदर - Extent
    आशिकी - Love (Feeling)
    जिस्म - Body
    रूह - Soul
    निजात - Get freed
    तलब - In Search
    बैचैनी - Discomfort

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  2. Wah bhai...........very deep thoughts in such a short phrase,
    Kaash mujhe bhi koi aashiqui miljaati, tu meri rooh yon na bhatakti.
    -AbduL

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