Saturday, April 3, 2010

आपका तसव्वुर... मेरी दीवानगी


मेरी धड़कन और मेरे मन का दौर--इख्तिलाफ देखिये,
हम-नवां की यादो ने मुझे राही बना दिया॥

मुन्तजिर--हामी--सनम के इस लम्बे दौर में,
हमने ना कटते इस वक़्त को ही, अपना गुनाहगार मान लिया॥

मेरे हर अफसाने में झलकता है साया--हुस्न उनका,
रंग--हिना को हमने अब खून--जोश में है मिला लिया॥

तारीख--कयामत था, और खुदा खुद आये कासिद बनकर,
पता चला की जुदाई--सनम, मेरे नसीब में उसने लिख दिया॥

मुद्दा--मौत हो या ज़िन्दगी फिर सुरूर में आये,
हमने उनके तसव्वुर में, खुदी की हस्ती को भुला दिया॥

उम्मीद--बहार में है हम, जब वो होंगे जानिब हमारे,
हमने हर एक शमा को जलने को हाँ..... पर पिघलने को ना कह दिया...