Tuesday, August 20, 2013

नादानियाँ






देखने से उनको दिल को करार आ जाता है,
पर वो नज़र छुपा रहे हैं,
सुन के उनके बोलो को सुरूर छा जाता है,
पर वो खामोश बैठे हैं,
अब तो इंतिहा हो गयी, इंतज़ार और ऐतबार की...
चाहने की उनको तमन्ना तो बहुत हैं,
पर वो मेरे इश्क से मुह फेरे बैठे हैं!

हमने उनकी तस्वीर हर और लगा रखी है,
अपनी पहचान भी उन्ही के नाम से ही रखी हैं,
ऐसी ही कई नादानियो की ...
हमने अब आदत बना रखी हैं!
बुत कहते हैं, अकेले कैसे काटोगे ये ज़िन्दगी,
हमने अपनी तन्हाईयों को संजोकर,
अब उनकी महफ़िल सज़ा रखी हैं!

Monday, August 5, 2013

मुझे छोड़ के जाने वाला!




इनकार नहीं,
इकरार नहीं..
इंतज़ार दे गया,
मुझे छोड़ के जाने वाला!

सरफराज था,
दिलनवाज है,
चाहे जैसा भी था,
वो.. मेरा दिल तोड़ने वाला!

आँखें कशमकश में नम हुई,
लब भी कोशिश करते रहे,
पर बयाँ ना कर सके,
ग़म ... वो मेरे दिल को छिलने वाला!

आह सही..
आह भरी..
फिर भी ना आया कोई,
मेरी तकलीफ सुनने वाला!

नहीं कोई रुलाने वाला,
नहीं कोई सताने वाला,
दूर तलक नहीं कोई निगाह में,
कोई, मुझे कुछ बताने वाला!

इनकार नहीं,
इकरार नहीं..
कुछ और ना सही,
इंतज़ार सही!