जो देखा, वो लिखा...... यूँ ही अपना सफ़र चलता रहा!
सीखा जो सिखाया... मैं यूँ ही बस चलता रहा!
करने को तो, मैं भी रहगुज़र कर सकता था किसी एक कोने में,
पर मेरा सफ़र........
हर मोड़ पर, मुझे हर बार एक नया एहसास सिखाता रहा!
Monday, August 5, 2013
मुझे छोड़ के जाने वाला!
इनकार नहीं,
इकरार नहीं..
इंतज़ार दे गया,
मुझे छोड़ के जाने वाला!
सरफराज था,
दिलनवाज है,
चाहे जैसा भी था,
वो.. मेरा दिल तोड़ने वाला!
आँखें कशमकश में नम हुई,
लब भी कोशिश करते रहे,
पर बयाँ ना कर सके,
ग़म ... वो मेरे दिल को छिलने वाला!
आह सही..
आह भरी..
फिर भी ना आया कोई,
मेरी तकलीफ सुनने वाला!
नहीं कोई रुलाने वाला,
नहीं कोई सताने वाला,
दूर तलक नहीं कोई निगाह में,
कोई, मुझे कुछ बताने वाला!
इनकार नहीं,
इकरार नहीं..
कुछ और ना सही,
इंतज़ार सही!
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इनकार - Disagreement
ReplyDeleteइकरार - To agree
इंतज़ार - Wait
सरफराज - One who raise your head with Pride
दिलनवाज - Close to Heart
कशमकश - Struggle
लब - Lips
बयाँ - To Explain