Tuesday, August 20, 2013

नादानियाँ






देखने से उनको दिल को करार आ जाता है,
पर वो नज़र छुपा रहे हैं,
सुन के उनके बोलो को सुरूर छा जाता है,
पर वो खामोश बैठे हैं,
अब तो इंतिहा हो गयी, इंतज़ार और ऐतबार की...
चाहने की उनको तमन्ना तो बहुत हैं,
पर वो मेरे इश्क से मुह फेरे बैठे हैं!

हमने उनकी तस्वीर हर और लगा रखी है,
अपनी पहचान भी उन्ही के नाम से ही रखी हैं,
ऐसी ही कई नादानियो की ...
हमने अब आदत बना रखी हैं!
बुत कहते हैं, अकेले कैसे काटोगे ये ज़िन्दगी,
हमने अपनी तन्हाईयों को संजोकर,
अब उनकी महफ़िल सज़ा रखी हैं!

1 comment:

  1. खामोश - Silent
    इंतिहा - Limit
    इंतज़ार - Wait
    ऐतबार - Trust
    तमन्ना - Wish
    महफ़िल - Party

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