जो देखा, वो लिखा...... यूँ ही अपना सफ़र चलता रहा!
सीखा जो सिखाया... मैं यूँ ही बस चलता रहा!
करने को तो, मैं भी रहगुज़र कर सकता था किसी एक कोने में,
पर मेरा सफ़र........
हर मोड़ पर, मुझे हर बार एक नया एहसास सिखाता रहा!
Tuesday, August 20, 2013
नादानियाँ
देखने से उनको दिल को करार आ जाता है,
पर वो नज़र छुपा रहे हैं,
सुन के उनके बोलो को सुरूर छा जाता है,
पर वो खामोश बैठे हैं,
अब तो इंतिहा हो गयी, इंतज़ार और ऐतबार की...
चाहने की उनको तमन्ना तो बहुत हैं,
पर वो मेरे इश्क से मुह फेरे बैठे हैं!
हमने उनकी तस्वीर हर और लगा रखी है,
अपनी पहचान भी उन्ही के नाम से ही रखी हैं,
ऐसी ही कई नादानियो की ...
हमने अब आदत बना रखी हैं!
बुत कहते हैं, अकेले कैसे काटोगे ये ज़िन्दगी,
हमने अपनी तन्हाईयों को संजोकर,
अब उनकी महफ़िल सज़ा रखी हैं!
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खामोश - Silent
ReplyDeleteइंतिहा - Limit
इंतज़ार - Wait
ऐतबार - Trust
तमन्ना - Wish
महफ़िल - Party