Monday, April 30, 2012

इश्क





ये सोचा ना था की इश्क एक सज़ा बन जायेगी
ज़िन्दगी, इन हाथो से ये ... यूँ रेत की तरह निकल जायेगी!

हर आदमी की निगाह में एक सवाल पनप रहा हैं मेरे लिए,
क्या पता था मेरी उलझन.. इस जहान की मुसीबत बन जायेगी!

वो उन राहो पे संग तेरे... घंटो मीलों का लंबा सफ़र,
क्या पता था कल यही राहें .... मेरा सफ़र बन जायेंगी!

कभी-कभी अकेले में, तेरी याद लिए बैठ जाता हूँ,
कभी सोचा ना था, ये मेरी मिल्कियत बन जायेंगी!

लोग कहते थे .. कि इश्क खुदा से भी बढकर हैं,
क्या पता था.. कि एक मुलाक़ात मुझे काफ़िर बना जायेगी!

Thursday, April 12, 2012

उम्मीद और ज़िन्दगी





हर एहसास को दबा के.. होठों पे हँसी रखी हैं,
आँखों की नमी हमने .. दिल में छुपा रखी हैं!

मिलने वाले अक्सर.. तेरा पता.. मुझसे पूछते हैं,
ना कह के "मेरा दिल"... हमने उन्हें एक गली बता रखी हैं!

राहो पे चलते-चलते, एक गुमान ये हो गया हमे,
शायद मेरे साए ने फिर तेरी गली पकड़ रखी है!

कभी पत्थर की तरह, मूक सा.. मैं तुझे जाते देखता रहा,
उस दिन जाना, इस दिल ने कितनी आब-ए-दीद बचा रखी हैं!

कहते है.. दिल चलता है तो हम चलते हैं,
पर हमने इस धड़कन को .. तेरी जागीर बना रखी हैं!

किसी दोराहे की दो रास्तो के एक कोण की तरह,
हर मोड़ पे, ज़िन्दगी और मौत ने मुझे तेरी तस्वीर दिखा रखी हैं!

कुछ दरख़्त बचे हैं, इस उजाड़ में अब भी,
बा-वस्ता होगा मेरा भी चमन.. ये उम्मीद लगा रखी हैं!