Thursday, April 12, 2012

उम्मीद और ज़िन्दगी





हर एहसास को दबा के.. होठों पे हँसी रखी हैं,
आँखों की नमी हमने .. दिल में छुपा रखी हैं!

मिलने वाले अक्सर.. तेरा पता.. मुझसे पूछते हैं,
ना कह के "मेरा दिल"... हमने उन्हें एक गली बता रखी हैं!

राहो पे चलते-चलते, एक गुमान ये हो गया हमे,
शायद मेरे साए ने फिर तेरी गली पकड़ रखी है!

कभी पत्थर की तरह, मूक सा.. मैं तुझे जाते देखता रहा,
उस दिन जाना, इस दिल ने कितनी आब-ए-दीद बचा रखी हैं!

कहते है.. दिल चलता है तो हम चलते हैं,
पर हमने इस धड़कन को .. तेरी जागीर बना रखी हैं!

किसी दोराहे की दो रास्तो के एक कोण की तरह,
हर मोड़ पे, ज़िन्दगी और मौत ने मुझे तेरी तस्वीर दिखा रखी हैं!

कुछ दरख़्त बचे हैं, इस उजाड़ में अब भी,
बा-वस्ता होगा मेरा भी चमन.. ये उम्मीद लगा रखी हैं!

2 comments:

  1. गली - Street
    गुमान - Illusion
    पत्थर - Stone
    आब-ए-दीद - Water in Eyes( Tears)
    जागीर - Property
    कोण - Angle
    दरख़्त - Tree
    उजाड़ - Deserted place
    बा-वस्ता - Establish

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    1. Ultimate...... kya baat. It is really very touching Poem. Too Gud. Keep it up

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