जो देखा, वो लिखा...... यूँ ही अपना सफ़र चलता रहा!
सीखा जो सिखाया... मैं यूँ ही बस चलता रहा!
करने को तो, मैं भी रहगुज़र कर सकता था किसी एक कोने में,
पर मेरा सफ़र........
हर मोड़ पर, मुझे हर बार एक नया एहसास सिखाता रहा!
Monday, April 30, 2012
इश्क
ये सोचा ना था की इश्क एक सज़ा बन जायेगी
ज़िन्दगी, इन हाथो से ये ... यूँ रेत की तरह निकल जायेगी!
हर आदमी की निगाह में एक सवाल पनप रहा हैं मेरे लिए,
क्या पता था मेरी उलझन.. इस जहान की मुसीबत बन जायेगी!
वो उन राहो पे संग तेरे... घंटो मीलों का लंबा सफ़र,
क्या पता था कल यही राहें .... मेरा सफ़र बन जायेंगी!
कभी-कभी अकेले में, तेरी याद लिए बैठ जाता हूँ,
कभी सोचा ना था, ये मेरी मिल्कियत बन जायेंगी!
लोग कहते थे .. कि इश्क खुदा से भी बढकर हैं,
क्या पता था.. कि एक मुलाक़ात मुझे काफ़िर बना जायेगी!
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रेत - Sand
ReplyDeleteउलझन - Confusion
जहान - World
मिल्कियत - Property
काफ़िर - One who don't believe in God