जो देखा, वो लिखा...... यूँ ही अपना सफ़र चलता रहा!
सीखा जो सिखाया... मैं यूँ ही बस चलता रहा!
करने को तो, मैं भी रहगुज़र कर सकता था किसी एक कोने में,
पर मेरा सफ़र........
हर मोड़ पर, मुझे हर बार एक नया एहसास सिखाता रहा!
Saturday, March 30, 2013
सबको बता देना ..
एक सवाल के मानिंद मेरा एक जवाब यही कही फ़िर रहा था ,
जो तुम देखो उसे , तो उसे उसकी मंजिल बता देना !
तुम गैरों से पूछते हो पते , अपनो के पास जाने को ,
जो तुम देखो किसी ऐसे इंसान को , उसे अपना बना लेना !
आँखों में इंतज़ार लिए , पतझड़ में एक पत्ता और गिर गया ,
जो देखो तुम फूल नया बहार में , उसे वो कहानी बता देना !
उन बीती रातो की यादों में , कहने सुनने में , रात बीत जायेगी ,
होगी सुबह , तो आ के मुझे आज का हाल बता देना !
आवाज़े भी मौजूद हैं , और परछाईयों की आहट भी है निगाहों में,
मसरूफियत छोड़ के , इंसान की इंसान से एक बार पहचान करा देना !
Sunday, March 10, 2013
काश.. ऐसा ना हुआ होता !
काश तूने मुझे बेगाना ही रहने दिया होता,
तो शायद मेरा दिल इतना ना बेचारा होता!
खुश्बू-ए-इश्क मेरी ज़िन्दगी में आया तेरी ही वजह से ,
जो तू ना होता तो शायद मैंने धड़कन को ना जाना होता!
आँखों में पहले भी कई बार रतजगे आये थे,
पर तेरी याद ने तब मेरी पलकों को ना भिगोया होता!
हम तो आज भी किस्सा -ए -गम , दिल में दबाये बैठे हैं,
तेरी रूसवाई के डर ने, हमको ना चुप कराया होता!
यूँ तो साँसों की ये गिनती , कभी रास नहीं आई मुझको,
पर इन खुली आँखों में हरदम तेरा बेसब्र इंतज़ार नहीं होता!
Subscribe to:
Posts (Atom)