जो देखा, वो लिखा...... यूँ ही अपना सफ़र चलता रहा!
सीखा जो सिखाया... मैं यूँ ही बस चलता रहा!
करने को तो, मैं भी रहगुज़र कर सकता था किसी एक कोने में,
पर मेरा सफ़र........
हर मोड़ पर, मुझे हर बार एक नया एहसास सिखाता रहा!
Sunday, March 10, 2013
काश.. ऐसा ना हुआ होता !
काश तूने मुझे बेगाना ही रहने दिया होता,
तो शायद मेरा दिल इतना ना बेचारा होता!
खुश्बू-ए-इश्क मेरी ज़िन्दगी में आया तेरी ही वजह से ,
जो तू ना होता तो शायद मैंने धड़कन को ना जाना होता!
आँखों में पहले भी कई बार रतजगे आये थे,
पर तेरी याद ने तब मेरी पलकों को ना भिगोया होता!
हम तो आज भी किस्सा -ए -गम , दिल में दबाये बैठे हैं,
तेरी रूसवाई के डर ने, हमको ना चुप कराया होता!
यूँ तो साँसों की ये गिनती , कभी रास नहीं आई मुझको,
पर इन खुली आँखों में हरदम तेरा बेसब्र इंतज़ार नहीं होता!
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बेगाना - Stranger
ReplyDeleteबेचारा - necessitous
रतजगे - State of sleepless nights
रूसवाई - Infamy
बेसब्र - Impatient
इंतज़ार - Wait