जो देखा, वो लिखा...... यूँ ही अपना सफ़र चलता रहा!
सीखा जो सिखाया... मैं यूँ ही बस चलता रहा!
करने को तो, मैं भी रहगुज़र कर सकता था किसी एक कोने में,
पर मेरा सफ़र........
हर मोड़ पर, मुझे हर बार एक नया एहसास सिखाता रहा!
Tuesday, January 24, 2012
मेरा पैमाना .. और मैं!
अभी तो थोड़ी ही पी हैं ताकि दूर हो सकूँ,
अरे.. आप भी यही हो, चलो मैं कही और चलूं!
अभी तो नज़र भी नहीं झुकी, अभी तो कदम भी साथ हैं,
हो सके तो तब आना.. जब मैं खुद को ना संभाल सकू!
महफ़िल में और भी तो हैं, उनसे भी उनका सबब पूछो,
मुझे दिन की परवाह नहीं.. पीता हूँ, ताकि रात गुज़ार सकूँ!
मेरा खुदा मस्जिद में नहीं, मेरे प्याले में रहता हैं,
मैं पीता हूँ, ताकि साफ़ दीदार-ए-यार कर सकूँ!
बस थोड़ी और मोहलत दो.. थोडा और नसीब चमका लूं,
क्या पता कयामत हो और मैं उसका दीदार पा सकूँ!
गिनती ना पूछो मुझ से तुम मेरे जामो की,
बस एक जाम और.. ताकि उनके कुछ और नजदीक जा सकूँ!
वक्त का क्या कहना, बस दो सुईया घूमती हैं,
पल पल का हिसाब कौन रखे.. मैं क्यों इनके साथ चलूं?
कोई कहता है कम पी .. ये किसी की नहीं होती,
इसने जब किसी का साथ नहीं दिया... तो मैं क्यों इसका ख्याल रखू?
Monday, January 16, 2012
एक कहानी......!!
लम्हे बूँदों से टपकते,
ज़मीन पर जाकर एक-दुसरे से जुड़ते,
कुछ मेरे आंसू.. कुछ तेरे आंसू,
जुड़ के .. मिल के .. एक ज़िन्दगी बनाते!
लफ्जों में कैद होते अलफ़ाज़,
कभी कभी चेहरे पे तैरते कुछ एहसास,
कभी होंठो से .. तो कभी आँखों में छलकते,
आ के सामने.. एक नयी कहानी बनाते!
कभी पसीने में बहता लहू,
कभी रंग बदल के .. बहता बन के आंसू,
एक ही वजूद के अनेक रंग समेटे,
मिल के ये कतरे, एक जिंदगानी बनाते!
कभी तुम बिछड़े, कभी खो गए हम,
कुछ तेरी खुशिया... कुछ मेरे गम,
वो तेरे साथ बिताये, पलो को समेटे,
वो किस्से , मेरे अफ़साने बनाते!
Tuesday, January 10, 2012
मशविरा- ए -ज़िन्दगी
ज़िन्दगी को बस एक नाव की तरह जीना,
आ जाए कितना भी बड़ा तूफ़ान, तुम हिम्मत कभी ना खोना,
पार कर के हर मुश्किल, मंजिल मिलेगी तुम को,
बस.. तब तलक तुम अपनी उम्मीद मत तोडना!
हर एक किरण, एक सूरज छुपाये होती हैं,
रात भी अँधेरे में, बस शोले दबाये रहती हैं,
वो तेरी सोच है, ना की लकीरें तेरे हाथो की,
जो तुझ से .. तेरा मुस्तकबिल छिपाए रखती हैं!
घबरा के हालात से, खींचना हाथ... नहीं काम वीर का,
ताकत ही नहीं, धैर्य भी हैं... आभूषण वीर का,
देखना समय की चाल और रहना सजग सदा ही
बस यही तो है.. रास्ता तेरे भाग्य के शिखर का!
हाथ मजदूर का सा रख .. तो तकदीर तख़्त सी मिलेगी,
मंजिल तो क्या.. तुझे खुशियाँ.. दो जहां की मिलेगी,
पाना-खोना बस नियम है .. जैसे दो साज़ जीवन के,
इन ही के संयोग से तुझे "उसकी" सारी नेमते मिलेंगी!
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