जो देखा, वो लिखा...... यूँ ही अपना सफ़र चलता रहा!
सीखा जो सिखाया... मैं यूँ ही बस चलता रहा!
करने को तो, मैं भी रहगुज़र कर सकता था किसी एक कोने में,
पर मेरा सफ़र........
हर मोड़ पर, मुझे हर बार एक नया एहसास सिखाता रहा!
Tuesday, January 10, 2012
मशविरा- ए -ज़िन्दगी
ज़िन्दगी को बस एक नाव की तरह जीना,
आ जाए कितना भी बड़ा तूफ़ान, तुम हिम्मत कभी ना खोना,
पार कर के हर मुश्किल, मंजिल मिलेगी तुम को,
बस.. तब तलक तुम अपनी उम्मीद मत तोडना!
हर एक किरण, एक सूरज छुपाये होती हैं,
रात भी अँधेरे में, बस शोले दबाये रहती हैं,
वो तेरी सोच है, ना की लकीरें तेरे हाथो की,
जो तुझ से .. तेरा मुस्तकबिल छिपाए रखती हैं!
घबरा के हालात से, खींचना हाथ... नहीं काम वीर का,
ताकत ही नहीं, धैर्य भी हैं... आभूषण वीर का,
देखना समय की चाल और रहना सजग सदा ही
बस यही तो है.. रास्ता तेरे भाग्य के शिखर का!
हाथ मजदूर का सा रख .. तो तकदीर तख़्त सी मिलेगी,
मंजिल तो क्या.. तुझे खुशियाँ.. दो जहां की मिलेगी,
पाना-खोना बस नियम है .. जैसे दो साज़ जीवन के,
इन ही के संयोग से तुझे "उसकी" सारी नेमते मिलेंगी!
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तूफ़ान - Storm
ReplyDeleteहिम्मत - Courage
मंजिल - Destination
किरण - Ray
लकीरें - Lines
मुस्तकबिल - Future/Fate
धैर्य - Patience
सजग - Alert
शिखर - Top
तकदीर - Fate
तख़्त - Throne
संयोग - Combination
नेमते - Blessings