जो देखा, वो लिखा...... यूँ ही अपना सफ़र चलता रहा!
सीखा जो सिखाया... मैं यूँ ही बस चलता रहा!
करने को तो, मैं भी रहगुज़र कर सकता था किसी एक कोने में,
पर मेरा सफ़र........
हर मोड़ पर, मुझे हर बार एक नया एहसास सिखाता रहा!
Sunday, December 18, 2011
वो मुलाक़ात
वो हम दोनों की जो मुलाक़ात थी,
वो .. बड़ी हसींन रात थी!
ना चाँद थे, ना जुगनू थे फलक पे,
पर तेरे साथ .. वो, मेरी चाँदनी रात थी!
ना कुछ तुम बोले, ना वो कभी हमने कही,
अनसुनी सी .. वो, बड़ी प्यारी बात थी!
ना कोई गम, ना कोई बोझ अब था,
तू.. मेरी ख़ुशी.. जो मेरे साथ थी!
बरसो तक था मैं जो रोया,
उसके बदले.. वो रात.. खुदा की सौगात थी!
टिमटिमाते तारों में, मेरा सितारा बुलंद था,
तेरा होना, मेरी बदनसीबी की एक बड़ी मात थी!
वो बड़ी खुबसूरत रात थी!
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मुलाक़ात Meeting
ReplyDeleteचाँद Moon
जुगनू A insect who sparkle
फलक Sky
चाँदनी रात Full Moon Night
अनसुनी Unheard
सौगात Gift
टिमटिमाते Blinking
बुलंद High
बदनसीबी Bad Fate
मात Defeat
बहुत खूबसूरत एहसास
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