जो देखा, वो लिखा...... यूँ ही अपना सफ़र चलता रहा!
सीखा जो सिखाया... मैं यूँ ही बस चलता रहा!
करने को तो, मैं भी रहगुज़र कर सकता था किसी एक कोने में,
पर मेरा सफ़र........
हर मोड़ पर, मुझे हर बार एक नया एहसास सिखाता रहा!
Monday, December 5, 2011
मेरे कुछ शौक
तेरी खुशियों में शामिल ना होने का गिला नहीं मझे,
तेरे गम की हंसी कम करने का शौक है मुझे!
वो तेरी हया, वो तेरी जफा... हर एक अदा मुझे याद हैं,
मांझी को तेरे, यादों से अपनी.. रंज कराने का शौक है मुझे!
सबका कहा सुना मैने, करता रहा खुदी की मैं,
कहने वालो को जलाना, ऐसा ही कुछ शौक है मुझे!
मिल गया अगर कोई.. ले मोती आगे बढ गया,
आँखों से ये सबकी चुराना, ये भी एक शौक है मुझे!
मौत भी आ जाए.. तो कह दू, तसव्वुर में हूँ तेरे,
उस को भी हर पल तडपाने का. ये अनोखा शौक है मुझे!
तेरा नशा ऐसा है जिस पर, बाकी सब बेकार,
मयखानों में पीते जाने का, बेमतलब सा शौक है मुझे!
अँधेरी राहो के कोनो पे.. हर दम, एक इंतज़ार में रहता हूँ,
आते जाते को दिया दिखाना.. एक मासूम सा शौक है मुझे!
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
गिला Problem
ReplyDeleteहया To shy
मांझी Past
रंज To get jealous
मोती Pearl
तसव्वुर In memories
मयखानों Bar/ place to drink