Thursday, February 23, 2012

ना मिले जो मौके



कितना भी हम मुस्कुराने की कोशिश कर ले,
हंसने का कभी हमे मौक़ा नहीं मिलता!

कुछ नियम है कुदरत के, ऐसे अनोखे भी,
झूमते पेड़ो को कभी नाचने का, मौका नहीं मिलता!

मसीहा भी उन्हें मिलता है, जिनके "कुछ" कर्म अच्छे हो,
जंगल के अंधेरो में, कभी कोई कमल नहीं खिलता!

कुछ आंधियो से पलटे तो कुछ आंसूओं से भीगे,
किताब का हर पन्ना पढ़ा जाए, सबका मांझी ऐसा नहीं होता!

हो के भी ना हो पायी, बशर मेरी महफ़िलो में,
आईने के उस और भी.. मुझे कोई मुझ सा नहीं दिखता!

इश्क की क्या कहूँ, हर पल एक जलन सी रहती हैं,
रह के भी सबसे तनहा, ये जीवन कभी तनहा नहीं रहता!

Monday, February 6, 2012

मेरे फलसफ़ो का फलसफ़ा



मिले गर कोई रास्ता, तो वो रास्ता बता देना,
ना लगे कुछ मुनासिब, तो मेरा फलसफ़ा सुना देना!

इख्तिलाफात कहाँ से मिटते ख्यालो के मेरे,
मेरी ये मसरूफियत, ज़रा वक़्त को.. तुम बता देना!

आब-ओ-दाना की तलाश में, कभी इधर गिरा.. कभी उधर,
कभी संभले, तो इस भागते शहर को भी बता देना!

लाजिमी हैं मेरा हर एक मोड़ पर इंतज़ार करना,
कोई जा के मेरे कातिल को मेरा पता बता देना!

मेरा दुःख ही मेरी पहचान है अब,
मिले जो कभी 'वो", उनका एहसान है ये.. बता देना!

मैंने अपनी अताओ में उनका भी ज़िक्र किया था,
मिले जो मेरे बिछड़े दोस्त, उन्हें मेरी कलमे सुना देना!

मेरे ही नसीब को इतना स्याह लिखना था,
मिले जो खुदा .. तो उसे भी मेरा सवाल बता देना!

न मैं आबिद, ना ही काफिर हूँ मेरे मौला,
एक अदना इंसान हूँ, इंसानियत को ये बता देना!