जो देखा, वो लिखा...... यूँ ही अपना सफ़र चलता रहा!
सीखा जो सिखाया... मैं यूँ ही बस चलता रहा!
करने को तो, मैं भी रहगुज़र कर सकता था किसी एक कोने में,
पर मेरा सफ़र........
हर मोड़ पर, मुझे हर बार एक नया एहसास सिखाता रहा!
Thursday, February 23, 2012
ना मिले जो मौके
कितना भी हम मुस्कुराने की कोशिश कर ले,
हंसने का कभी हमे मौक़ा नहीं मिलता!
कुछ नियम है कुदरत के, ऐसे अनोखे भी,
झूमते पेड़ो को कभी नाचने का, मौका नहीं मिलता!
मसीहा भी उन्हें मिलता है, जिनके "कुछ" कर्म अच्छे हो,
जंगल के अंधेरो में, कभी कोई कमल नहीं खिलता!
कुछ आंधियो से पलटे तो कुछ आंसूओं से भीगे,
किताब का हर पन्ना पढ़ा जाए, सबका मांझी ऐसा नहीं होता!
हो के भी ना हो पायी, बशर मेरी महफ़िलो में,
आईने के उस और भी.. मुझे कोई मुझ सा नहीं दिखता!
इश्क की क्या कहूँ, हर पल एक जलन सी रहती हैं,
रह के भी सबसे तनहा, ये जीवन कभी तनहा नहीं रहता!
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कुदरत - Nature
ReplyDeleteमसीहा - Angel
कर्म - Work
जंगल - Forest
कमल - Lotus
आंधियो - Storm
पन्ना - Page
मांझी - Past Life
बशर - Stay
महफ़िलो - Parties
आईने - Mirror
तनहा - Lonely
Superb.........Ginnie, keep it up........very touching :) - Abdul
ReplyDeletenice one .. keep writing and spread the ash..
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