Thursday, February 23, 2012

ना मिले जो मौके



कितना भी हम मुस्कुराने की कोशिश कर ले,
हंसने का कभी हमे मौक़ा नहीं मिलता!

कुछ नियम है कुदरत के, ऐसे अनोखे भी,
झूमते पेड़ो को कभी नाचने का, मौका नहीं मिलता!

मसीहा भी उन्हें मिलता है, जिनके "कुछ" कर्म अच्छे हो,
जंगल के अंधेरो में, कभी कोई कमल नहीं खिलता!

कुछ आंधियो से पलटे तो कुछ आंसूओं से भीगे,
किताब का हर पन्ना पढ़ा जाए, सबका मांझी ऐसा नहीं होता!

हो के भी ना हो पायी, बशर मेरी महफ़िलो में,
आईने के उस और भी.. मुझे कोई मुझ सा नहीं दिखता!

इश्क की क्या कहूँ, हर पल एक जलन सी रहती हैं,
रह के भी सबसे तनहा, ये जीवन कभी तनहा नहीं रहता!

3 comments:

  1. कुदरत - Nature
    मसीहा - Angel
    कर्म - Work
    जंगल - Forest
    कमल - Lotus
    आंधियो - Storm
    पन्ना - Page
    मांझी - Past Life
    बशर - Stay
    महफ़िलो - Parties
    आईने - Mirror
    तनहा - Lonely

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  2. Superb.........Ginnie, keep it up........very touching :) - Abdul

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  3. nice one .. keep writing and spread the ash..

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