Monday, February 6, 2012

मेरे फलसफ़ो का फलसफ़ा



मिले गर कोई रास्ता, तो वो रास्ता बता देना,
ना लगे कुछ मुनासिब, तो मेरा फलसफ़ा सुना देना!

इख्तिलाफात कहाँ से मिटते ख्यालो के मेरे,
मेरी ये मसरूफियत, ज़रा वक़्त को.. तुम बता देना!

आब-ओ-दाना की तलाश में, कभी इधर गिरा.. कभी उधर,
कभी संभले, तो इस भागते शहर को भी बता देना!

लाजिमी हैं मेरा हर एक मोड़ पर इंतज़ार करना,
कोई जा के मेरे कातिल को मेरा पता बता देना!

मेरा दुःख ही मेरी पहचान है अब,
मिले जो कभी 'वो", उनका एहसान है ये.. बता देना!

मैंने अपनी अताओ में उनका भी ज़िक्र किया था,
मिले जो मेरे बिछड़े दोस्त, उन्हें मेरी कलमे सुना देना!

मेरे ही नसीब को इतना स्याह लिखना था,
मिले जो खुदा .. तो उसे भी मेरा सवाल बता देना!

न मैं आबिद, ना ही काफिर हूँ मेरे मौला,
एक अदना इंसान हूँ, इंसानियत को ये बता देना!

3 comments:

  1. मुनासिब Correct
    फलसफ़ा Story
    इख्तिलाफात Conflict of Thoughts
    मसरूफियत Busy
    आब-ओ-दाना Bread and butter(Food)
    लाजिमी Valid
    स्याह Black
    आबिद Beleiver in God
    काफिर Non-Beleiver in God

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