Tuesday, January 24, 2012

मेरा पैमाना .. और मैं!



अभी तो थोड़ी ही पी हैं ताकि दूर हो सकूँ,
अरे.. आप भी यही हो, चलो मैं कही और चलूं!

अभी तो नज़र भी नहीं झुकी, अभी तो कदम भी साथ हैं,
हो सके तो तब आना.. जब मैं खुद को ना संभाल सकू!

महफ़िल में और भी तो हैं, उनसे भी उनका सबब पूछो,
मुझे दिन की परवाह नहीं.. पीता हूँ, ताकि रात गुज़ार सकूँ!

मेरा खुदा मस्जिद में नहीं, मेरे प्याले में रहता हैं,
मैं पीता हूँ, ताकि साफ़ दीदार-ए-यार कर सकूँ!

बस थोड़ी और मोहलत दो.. थोडा और नसीब चमका लूं,
क्या पता कयामत हो और मैं उसका दीदार पा सकूँ!

गिनती ना पूछो मुझ से तुम मेरे जामो की,
बस एक जाम और.. ताकि उनके कुछ और नजदीक जा सकूँ!

वक्त का क्या कहना, बस दो सुईया घूमती हैं,
पल पल का हिसाब कौन रखे.. मैं क्यों इनके साथ चलूं?

कोई कहता है कम पी .. ये किसी की नहीं होती,
इसने जब किसी का साथ नहीं दिया... तो मैं क्यों इसका ख्याल रखू?

2 comments:

  1. महफ़िल Party
    सबब Reason
    गुज़ार Spend
    मस्जिद Mosque
    दीदार-ए-यार A view of beloved
    मोहलत Time to Survive
    कयामत Doom Day
    नजदीक Near
    सुईया Needles
    हिसाब Take care
    ख्याल Care

    ReplyDelete
  2. wah kya khoob likha hai..

    ReplyDelete