जो देखा, वो लिखा...... यूँ ही अपना सफ़र चलता रहा!
सीखा जो सिखाया... मैं यूँ ही बस चलता रहा!
करने को तो, मैं भी रहगुज़र कर सकता था किसी एक कोने में,
पर मेरा सफ़र........
हर मोड़ पर, मुझे हर बार एक नया एहसास सिखाता रहा!
Tuesday, March 6, 2012
किस को क्या फर्क पड़ता हैं!
फकीरों की फकीरी कौन चुरा सकता हैं,
देखे.. कोशिश करने वालो की नीयत पर क्या फर्क पड़ता हैं!
मेरे शब्दों पे कोई मुंह फेर के चला गया,
कोई "वाह" कह गया तो क्या फर्क पड़ता हैं!
कोई उड़ के आया, घर में चांदनी के रस्ते,
कोई आया फटे पाँव, तो क्या फर्क पड़ता हैं!
किसी ने नूर कहा, किसी ने सनम कहा,
किसी ने "दागी" कहा, चाँद को क्या फर्क पड़ता हैं!
कभी यादो तो कभी साँसों के सहारे चली ज़िन्दगी,
जो ठिठकी भी कहीं जाकर... ज़िन्दगी को क्या फर्क पड़ता हैं!
कईयों को देखा, कईयों को मायूस किया,
देखे.. आने वाला तूफ़ान, किस कदर हौसला रखता हैं!
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फकीरों Beggers
ReplyDeleteनीयत Will
ज़िन्दगी Life
ठिठकी Stop
मायूस Disheartened
तूफ़ान Storm
हौसला Courage