Thursday, September 13, 2012

ज़रा .. आ के देखो!







एक अरसा हुआ, आ के देखो , हम कैसे दिखते हैं ,
हम आज भी , हर अक्स में .. बस तुझे ही देखते हैं !

तुमने हर एक बात , कानो से सुनी ... आँखों से देखी हैं ,
हम हर एक अलफ़ाज़ को आज भी दिल से देखते हैं !

ज़िन्दगी की बाज़ी में , कभी जीते तो कभी हम हारे हैं ,
तुमसे कितना हारे -जीते ... आज ये हिसाब देखते हैं !

कहते है , आँखें ही दिल की जुबान होती हैं ,
आओ करीब हमारे , आज इस किताब के अलफ़ाज़ देखते हैं !

हमको दीवाना बताकर , बुत पत्थर मार के चले गए ,
आँखों से किन के सावन बरसे , गिनती उनकी देखते हैं !

कहते रहे कई अफ़साने , मुझे राहे बताते रहे ,
हम आज तलक अपनी नहीं , अपने जाम की चाल देखते हैं !

1 comment:

  1. अलफ़ाज़ - Words
    जुबान - Tongue
    किताब - Book
    बुत - Stone
    सावन - Rain/Month of Rain
    जाम - Peg

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