जो देखा, वो लिखा...... यूँ ही अपना सफ़र चलता रहा!
सीखा जो सिखाया... मैं यूँ ही बस चलता रहा!
करने को तो, मैं भी रहगुज़र कर सकता था किसी एक कोने में,
पर मेरा सफ़र........
हर मोड़ पर, मुझे हर बार एक नया एहसास सिखाता रहा!
Saturday, November 14, 2009
मैं अब भी उम्मीद रखता हूँ
हर रात अपने सिरहाने पे, मैं एक उम्मीद रखता हूँ,
हर रात अपने ज़ेहन में, तेरी एक तस्वीर रखता हूँ..
हो वो रात, आम रातो से लम्बी, जब तू ख्वाब में निगाहबां हो,
मैं दिन भर, बस ऐसी रात का, आँखों में इंतज़ार रखता हूँ!
पहले आप हमेशा हमे उजालो में मिला करते थे,
हंसते..खिल-खिलाते, हमारी नूर-ए-नज़र बने रहते थे...
हो गए जब से ओझल, आप इन नजरो से,
मैं हर पल, दिल में आपका इंतज़ार लिए फिरता हूँ!
और
हर रात अपने सिरहाने पे, मैं एक उम्मीद रखता हूँ,
अब मुझे मय्कदो के हर जाम, हर प्याले में, आप दिखती हैं,
हर बसे हुए आशियानों में, आपकी तासीर दिखाती हैं..
लोगो ने तो मेरा नाम भी रख डाला हैं "दीवाना"
ये दीवानगी दिल में लिए.. मैं बस दर-ब-दर भटकता हूँ!
इसीलिए
हर रात अपने सिरहाने पे, मैं एक उम्मीद रखता हूँ,
सुनने को आपकी आवाज़ मैं हर मुमकिन कोशिश करता हूँ,
पर ना हो आपको भी इसका इलम, ये पुरजोर कोशिश करता हूँ..
मुझे मेरी ही बे-वफाई का डर.... हमेशा सताता हैं,
मैं तेरी ख़ुशी के लिए, तुझसे दूर रहा करता हूँ!
पर
हर रात अपने सिरहाने पे, मैं एक उम्मीद रखता हूँ!
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सिरहाने - pillow
ReplyDeleteज़ेहन - mind
निगाहबां - always in eyes
नूर-ए-नज़र - beauty in eyes
ओझल - lose
मय्कदो - wine houses
आशियानों - homes
तासीर - Effect
मुमकिन - possible