जो देखा, वो लिखा...... यूँ ही अपना सफ़र चलता रहा!
सीखा जो सिखाया... मैं यूँ ही बस चलता रहा!
करने को तो, मैं भी रहगुज़र कर सकता था किसी एक कोने में,
पर मेरा सफ़र........
हर मोड़ पर, मुझे हर बार एक नया एहसास सिखाता रहा!
Sunday, November 1, 2009
मैं तुझे पाऊ कैसे??
मैं एक हाँ कहू कैसे?
मैं एक ना कहू कैसे?
मैं खड़ा हूँ एक ऐसे मोड़ पे,
मैं पीछे हटू कैसे, मैं आगे बदू कैसे??
मैं खुशियाँ सदा तेरी चाहता हूँ,
मैं गम से सिर्फ अपना रिश्ता माँगता हूँ,
सोचता रहता हूँ, बस यहीं हर पल.....
मैं तुझे भूलू कैसे, मैं तुझे पाऊ कैसे??
मैं तिजारत मे कमी नहीं, एक एहसास चाहता हूँ,
मैं तेरा साथ नहीं, तेरे साथ होने का एहसास चाहता हूँ..
अब मांगू भी तो क्या मांगू उस रब से॥
मैं अपनी आँखों में तेरी खुशियों के आंसू पाऊ कैसे??
मैं चाहता हूँ सब कुछ मुझे मिल जाए,
ना कल का इंतज़ार मुझे, सब आज अभी मिल जाए...
होता इश्क का फल, सब्र से भी मीठा...(ऐसा लोग कहते है....)
इस सब्र को, मैं खुद पे आज़माऊ कैसे??
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बदू move
ReplyDeleteतिजारत trading
एहसास Feeling
आंसू Tear
सब्र patience
आज़माऊ to try