जो देखा, वो लिखा...... यूँ ही अपना सफ़र चलता रहा!
सीखा जो सिखाया... मैं यूँ ही बस चलता रहा!
करने को तो, मैं भी रहगुज़र कर सकता था किसी एक कोने में,
पर मेरा सफ़र........
हर मोड़ पर, मुझे हर बार एक नया एहसास सिखाता रहा!
Monday, June 6, 2011
एक आखिरी बार
तेरी उस मुलाक़ात का सुर्ख नशा .. आज भी कायम है,
अंजाम भी हो आगाज़ सा, बस एक आखिरी बार चले आना!
एक हसीन तोहफा .. वक़्त मेरा.. तेरा इंतज़ार कर रहा हैं,
हो सके .. तो आ के दबे पाँव .. इसे ले जाना!
मेरी इश्क ... मेरा कुफ्र नहीं... सजदा-ए-सनम हैं,
हो सके तो मेरे बाद, ये इबादत तुम भी दोहराना!
नगमे, नज़ारें, महफिले, कहकशां, ये तुम्हे मुबारक सनम,
हो जब नशे में तुम, हमे मनहूस कहने चले आना!
मेरा हाल देखकर, तुम क्या आंसू बहाओगे,
एक अदद आह भर देना, बस इतना कर जाना!
होश अब धीरे-धीरे मेरा साथ छोड़ता जा रहा हैं,
मेरी रूह के सुकून के लिए, झूठ ही सही ... हमे "सनम" कह जाना!
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मुलाक़ात Meeting
ReplyDeleteकायम Still there
आगाज़ Starting/ Beginning
तोहफा Gift
कुफ्र Bad work
इबादत Prayer
दोहराना Repeat
नगमे Songs
नज़ारें Views
महफिले Parties
कहकशां Sky/ group of stars
मनहूस One whose presence ruins the work.
अदद Only
सुकून Satisfaction
झूठ Lie
kya baat ahi hero....phad rahe hoooo!!!!!jeyoo mere laal!!
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