Monday, June 6, 2011

एक आखिरी बार





तेरी उस मुलाक़ात का सुर्ख नशा .. आज भी कायम है,
अंजाम भी हो आगाज़ सा, बस एक आखिरी बार चले आना!

एक हसीन तोहफा .. वक़्त मेरा.. तेरा इंतज़ार कर रहा हैं,
हो सके .. तो आ के दबे पाँव .. इसे ले जाना!

मेरी इश्क ... मेरा कुफ्र नहीं... सजदा-ए-सनम हैं,
हो सके तो मेरे बाद, ये इबादत तुम भी दोहराना!

नगमे, नज़ारें, महफिले, कहकशां, ये तुम्हे मुबारक सनम,
हो जब नशे में तुम, हमे मनहूस कहने चले आना!

मेरा हाल देखकर, तुम क्या आंसू बहाओगे,
एक अदद आह भर देना, बस इतना कर जाना!

होश अब धीरे-धीरे मेरा साथ छोड़ता जा रहा हैं,
मेरी रूह के सुकून के लिए, झूठ ही सही ... हमे "सनम" कह जाना!

2 comments:

  1. मुलाक़ात Meeting
    कायम Still there
    आगाज़ Starting/ Beginning
    तोहफा Gift
    कुफ्र Bad work
    इबादत Prayer
    दोहराना Repeat
    नगमे Songs
    नज़ारें Views
    महफिले Parties
    कहकशां Sky/ group of stars
    मनहूस One whose presence ruins the work.
    अदद Only
    सुकून Satisfaction
    झूठ Lie

    ReplyDelete
  2. kya baat ahi hero....phad rahe hoooo!!!!!jeyoo mere laal!!

    ReplyDelete