जो देखा, वो लिखा...... यूँ ही अपना सफ़र चलता रहा!
सीखा जो सिखाया... मैं यूँ ही बस चलता रहा!
करने को तो, मैं भी रहगुज़र कर सकता था किसी एक कोने में,
पर मेरा सफ़र........
हर मोड़ पर, मुझे हर बार एक नया एहसास सिखाता रहा!
Saturday, October 10, 2009
वादा
ये वादा था मेरा मेरे एहसासों से,
कि उनके दिल में पैदा होने के बाद,
पर ज़ेहन में ख्यालों की भीड़ में खोने से पहले,
मैं, उनकी इस जहान से पहचान करा दूंगा!
ज़ेहन - Mind
ReplyDeleteजहान - World
कविताएं - Poems