Tuesday, March 9, 2010

एक आंसू और थोड़ी तन्हाई




फिर एक आंसू और थोड़ी तन्हाई
ना जाने आज तू फिर क्यों याद आई!

कोशिश तो की तुझे भूल जाने की,
हर कोशिश में तू फिर ज्यादा याद आई!

कहाँ-कहाँ नहीं भटका, मै तेरी यादो से बचने को,
हर छलकते जामो ने फिर तेरी ही गली की राह दिखाई!

कहते रहे लोग .... ज़िन्दगी लम्बी हैं, वक़्त कट जाता है,
जितना तुझे भुला था... उस से ज्यादा तू तब याद आई!

1 comment:

  1. तन्हाई - Loneliness
    ज़िन्दगी - Life
    वक़्त - Time

    ReplyDelete