जो देखा, वो लिखा...... यूँ ही अपना सफ़र चलता रहा!
सीखा जो सिखाया... मैं यूँ ही बस चलता रहा!
करने को तो, मैं भी रहगुज़र कर सकता था किसी एक कोने में,
पर मेरा सफ़र........
हर मोड़ पर, मुझे हर बार एक नया एहसास सिखाता रहा!
Tuesday, March 9, 2010
एक आंसू और थोड़ी तन्हाई
फिर एक आंसू और थोड़ी तन्हाई
ना जाने आज तू फिर क्यों याद आई!
कोशिश तो की तुझे भूल जाने की,
हर कोशिश में तू फिर ज्यादा याद आई!
कहाँ-कहाँ नहीं भटका, मै तेरी यादो से बचने को,
हर छलकते जामो ने फिर तेरी ही गली की राह दिखाई!
कहते रहे लोग .... ज़िन्दगी लम्बी हैं, वक़्त कट जाता है,
जितना तुझे भुला था... उस से ज्यादा तू तब याद आई!
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तन्हाई - Loneliness
ReplyDeleteज़िन्दगी - Life
वक़्त - Time